मेरे आस-पास में कुछ ऐसी महिलाएँ हैं जिन्होंने अपनी पढ़ाई बहुत ही मुश्किल से पूरी की। उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए घर से काफी दूर जाना पड़ता था। स्कूल जाने से पहले वे घर का सारा काम करती थी उसके बाद स्कूल जाती थी और स्कूल से आने के बाद भी घर का काम करने के बाद ही अपनी पढ़ाई कर पाती थी। कुछ तो अपनी स्कूल की फीसदेने के लिए सिलाई का काम भी करती थीं। स्कूल घर से दूर होने के कारण , उन्हें पैदल ही स्कूल जाना पड़ता था। परीक्षाओं के समय भी उन्हें घर के कामों से छुट्टी नहीं दी जाती थी, इसलिए वे दिनभर काम करने के बाद रात में जागकर अपनी पढ़ाई करती थी।
अपने स्कूल के शिक्षक से, अपने सहपाठियों से उन्हें बहुत प्रोत्साहन मिलता था। उनके शिक्षक और सहपाठी पढ़ाई में उनकी बहुत मदद करते थे।
कभी-कभी तो उनके स्कूल की फीस उनकी मित्रों के द्वारा भर दिया जाता था। उनके मित्र कॉपी-किताबों से भी उनकी मदद करते थे और उन्हें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थे।