रोजगार की परिस्थितियों के अनुसार आर्थिक गतिविधियों को दो क्षेत्रकों में विभाजित किया जाता है-
(1) संगठित क्षेत्र और (2) असंगठित क्षेत्र। यथा-
(1) संगठित क्षेत्रक-संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है। इस कारण लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है। इस क्षेत्रक में सरकार का नियन्त्रण होता है तथा सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन किया जाता है। कर्मचारियों को कार्य के दौरान एवं सेवानिवृत्ति के बाद भी अनेक सुविधाएँ मिलती हैं।
(2) असंगठित क्षेत्रक-असंगठित क्षेत्रक में छोटी-छोटी एवं बिखरी हुई उत्पादन इकाइयों को शामिल किया जाता है जिन पर सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं होता है तथा सरकार के नियमों व विनियमों का अनुपालन नहीं किया जाता है। इस क्षेत्रक में श्रमिकों का विभिन्न प्रकार से शोषण किया जाता है। इनमें न तो सवेतन अवकाश का ही कोई प्रावधान होता है और न ही रोजगार की सुनिश्चितता होती है। काम के एवज में दैनिक मजदूरी के अतिरिक्त मजदूर को कोई अन्य सुविधा नहीं मिलती है।