आयात पर 'कर' को व्यापार अवरोधक के रूप में इसलिए जाना जाता है क्योंकि इससे सरकार विदेशी व्यापार पर कुछ प्रतिबंध लगाकर उसे नियमित करती है, जिससे विदेशी व्यापार सीमित हो जाता है।
भारत सरकार द्वारा विदेशी व्यापार व निवेश पर प्रतिबंध लगाने के कारण-
देश के छोटे उद्योगपतियों को प्रतियोगिता से बचाने हेतु ताकि वे अपना पर्याप्त विकास कर सकें एवं उनका पतन न हो।
विदेशी कम्पनियाँ अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ कम मूल्य पर वस्तुएँ उपलब्ध कराती थीं, जबकि भारतीय कम्पनियों के लिए ऐसा करना कठिन था।
भारतीय उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने के लिए।
(2) स्थानीय कम्पनियों को खरीदना-बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा निवेश का सबसे आम रास्ता स्थानीय कम्पनियों को खरीदना तथा उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना है। अपार सम्पदा वाली ये कम्पनियाँ स्थानीय कम्पनियों को आसानी से खरीद सकती हैं।
(3) छोटे उत्पादकों को उत्पादन आर्डर देना-बहराष्ट्रीय कम्पनियाँ स्थानीय उत्पादकों को भी उत्पादन आर्डर देकर उत्पादन पर नियंत्रण करती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं जहाँ बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जा रहा है।