अभिक्रिया $- 2N_2O \rightarrow 2N_2+ O_2$ का प्रायोगिक वेग समीकरण निम्नलिखित है$-$वेग$= k[N_2O].$ इस अभिक्रिया की क्रियाविधि बताइए।
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वेग समीकरण में $N_2O$ की सान्द्रता की घात एक है अतः वेग निर्धारक पद $($भीमा पद$)$ में $N_2O$ का एक अणु उपस्थित होना चाहिए इसलिए इस अभिक्रिया की क्रियाविधि निम्नलिखित है$-$
$N _2 O \rightarrow N _2+ O$ $($धीमा पद$)$
$N _2 O + O \rightarrow N _2+ O _2$ $($तेज पद$)$
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(a)किसी जटिल अभिक्रिया के धीमे पद की अणुसंख्यता ही सम्पूर्ण अभिक्रिया की अणुसंख्यता होती है। समझाइए। (b) उच्च कोटि की अभिक्रियाएँ सामान्यतः नहीं होती, क्यों?
तीन अभिक्रियाएँ जिनकी कोटि $1, 2$ तथा $3$ हैं इनके लिए वेग स्थिरांकों का मान समान है तो सान्द्रता का मान $1M, 1M$ से कम तथा $1M$ से अधिक होने पर इन अभिक्रियाओं के चेवेगों का क्रम क्या होगा?