(a) जटिल अभिक्रियाओं की क्रियाविधि में सबसे धीमे पद को वेग निर्धारक पद माना जाता है। चूंकि किसी अभिक्रिया के लिए अणुसंख्यता का मान सामान्यतया 3 से अधिक नहीं होता अतः धीमे पद में उपस्थित अणुओं से ही अभिक्रिया की अणुसंख्यता ज्ञात करते हैं, चाहे पूर्ण सन्तुलित समीकरण में अणुओं की संख्या अधिक हो।
(b) अभिक्रिया होते समय उन अणुओं के मध्य टक्कर होती है जो निश्चित दिशा में अभिविन्यासित होते हैं तथा जटिल अभिक्रियाओं में धीमे पद में जितने अणुओं की सान्द्रता में परिवर्तन होता है, वही अभिक्रिया की कोटि होती है। टक्कर में सामान्यतः तीन से अधिक अणु भाग नहीं लेते अतः उच्च कोटि की अभिक्रियाएँ सामान्यतः नहीं होती।