अलाउद्दीन खिलजी ने मूल्य नियंत्रण इसलिये लागू किया ताकि प्रजा को उचित मूल्य पर वस्तुएँ मिल सकें । सुल्तान ने खाद्यान्नों से लेकर वस्त्र तथा दास-दासियों और मवेशियों तक के मूल्य निश्चित कर दिये थे । दास-दासियों और घोड़ों के भी बाजार लगते थे।
मेरे विचार से वर्तमान समय की सरकारें भी मूल्य निश्चित कर देती है । अनाजों के खरीद के लिये न्यूनतम मूल्य निश्चित कर देती हैं । यदि कोई खरीदे-न-खरीदे सरकार उस मूल्य पर स्वयं अनाज खरीद लेती है और अपने गोदामों में रखती है। उन अनाजों को वह सरकारी राशन की दुकानों से बिकवाती है । किरासन, पेट्रोल और डीजल का मूल्य भी सरकार ही निश्चित करती है। दुकानों पर अधिकांश सामनों पर मूल्य अंकित रहते हैं । दवाओं पर तो खास तौर पर दाम अंकित रहता ही है । दास-दासी की बिक्री आज अपराध माना जाता है । पशुओं के मूल्य सरकार निश्चित नहीं करती।