सल्तनत काल में लगान व्यवस्था का अपना तरीका था। गाँव के । बड़े और धनी किसान, जिन्हें खुत, मुक्कदम और चौधरी कहते थे राज्य की ओर से लगान वसूला करते थे । लगान अर्थात भूमिकर को खराज कहा जाता था । ‘खराज’ की मात्र भूमि पर उपजने वाले अनाज का एक हिस्सा होता था । खराज में वसूला गया अनाज सरकारी गोदामों में रखा जाता था । इस सेवा के बदले खुत, मुक्कदम और चौधरी को खराज का एक हिस्सा मिलताथा। ये लोग छोटे किसानों को दबाते भी थे। बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने इन ग्रामीणों को हटाकार लगान या खराज वसूलने का काम सरकारी ‘अधिकारियों को सौंप दिया ।