सल्तनत कालीन किसानों एवं आज के किसानों में हम यह अंतर देखते हैं कि सल्तनत कालीन किसान उपज का एक निश्चित भाग अनाज का लगान में देते थे वहीं आज के किसान एक निश्चित रकम नकद लगान में देते हैं । उस समय किसानों को मजबूर किया जाता था कि वे अपना अनाज सरकारी दर पर व्यापारियों के हाथ बेचे।
लेकिन मूल्य निश्चित होने के बावजूद आज के किसान अपनी उपज बेचने-न-बेचने के लिए स्वतंत्र है । सल्तनत काल में सरकारी गोदामों में अनाज रखे जाते थे, आज भी रखे जाते हैं । सल्तनत कालीन किसान केवल हल-कुदाल से खेती करते थे लेकिन आज के किसान यांत्रिक कृषि भी करने लगे हैं।