छोटे किसान ज्यादातर अपना उत्पाद आढ़तिया को ही बेचते हैं। क्योंकि सीधे मंडी में अपना उत्पाद बेचने का साधन नहीं होता और उनके पास इतने पैसे नहीं होता और उन्हें अपना कर्ज चुकाने के लिए तुरंत पैसे की आवश्यकता होती है।
इससे उन्हें अपने उत्पाद का सही मूल्य नहीं मिलता। आढ़तिया उनके उत्पादों को मंडी में ले जाकर ऊँचे मूल्यों पर बेचता है और इनसे प्राप्त रुपये में से 6 से 8 प्रतिशत तक अपना कमीशन काटकर शेष पैसा किसानों को देता है। कई बार आढ़तिया कम दामों पर किसानों से उनका उत्पाद खरीद लेता है और फिर मूल्य बढ़ने पर उन्हें बेचकर ज्यादा लाभ कमाता है।