नहीं, सलमा को अपने मेहनत का उचित परिश्रमिक प्राप्त नहीं हुआ। क्योंकि सलमा ने मखाने को खुद मंडी में न बेचकर आढतियाँ को बेचा था, जिसकी वजह से उसे मखाने का उचित मूल्य नहीं मिला । उसे पैसे कीजरूरत थी क्योंकि उसे अपने रिश्तेदार का चर्क चुकाना था। तालाब के मालिक को किराया देना था। अपने टूटे घर की मरम्मत करानी थी और फिर उसके पास जगह की कमी थी, इस कारण वह मखाने को अपने पास रखकर मूल्य बढ़ने पर उसे बेचकर मुनाफा भी नहीं कमा सकती थी। आढ़तिया को मखाना बेचने से उसे मखाने का कम मूल्य मिला और आढ़तिए ने कहा कि अच्छी फसल होने की वजह से मखाने का मूल्य नहीं बढ़ा।