बाल विवाह: कम उम्र या अवयस्क बालकबालिकाओं का विवाह कर देना बाल विवाह कहलाता है, यह एक कुप्रथा है। इससे बालक-बालिकाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जो कि किसी भी प्रगतिशील समाज के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है।
राष्ट्रीय स्तर पर बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने हेतु समाज सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आवाज उठाई। परिणामस्वरूप, 10 दिसम्बर, 1903 को अलवर रियासत ने बाल विवाह निषेध कानून बनाया। भारत स्तर पर, बाल विवाह पर रोक संबंधी कानुन सर्वप्रथम सन् 1929 में पारित किया गया । सन् 1949, 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किए गए। वर्तमान में विवाह हेतु बालिकाओं की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और बालकों की 21 वर्ष निर्धारित है।