भारत ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को अपनाया है। इसलिए भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ने सामाजिक विविधता में सामंजस्य स्थापित करने में सफलता पाई है। यद्यपि कोई भी समाज अपने विभिन्न समूहों के बीच के टकरावों को पूरी तरह और स्थायी रूप से खत्म नहीं कर सकता, लेकिन भारत ने इन अन्तरों और विभेदों का आदर करना सीख लिया है। भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को स्वतंत्रता व समानता का अधिकार, धर्मनिरपेक्ष शासन की व्यवस्था, संघवादी शासन व्यवस्था, अनुसूचित जातियों, जनजातियों तथा महिलाओं व अन्य पिछड़े वर्गों की आरक्षण की व्यवस्था, भाषायी आधार पर राज्यों का गठन आदि के माध्यम से भारत ने सामाजिक विविधता में सामंजस्य स्थापित किया है।
भारत में सरकार जनसामान्य की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है तथा यहाँ बहुमत, अल्पमत की राय की भी कद्र करता है। यद्यपि यहाँ बहुमत का शासन है, लेकिन बहुमत के शासन का अर्थ धर्म, नस्ल अथवा भाषायी आधार के बहुसंख्यक समूह का शासन नहीं होता। बहुमत के शासन का अर्थ है-हर फैसले या चुनाव में अलग-अलग लोग और समूह बहुमत का निर्माण कर सकते हैं। इसमें प्रत्येक नागरिक को किसी न किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बनने का मौका मिलता है।