(1) व्यक्ति की गरिमा-लोकतंत्र हमेशा व्यक्ति की गरिमा को सम्मान देता है। लोकतंत्र में सिद्धान्त रूप में व्यक्ति की गरिमा को स्वीकार किया जाता है और जब एक बार किसी बात को सिद्धान्त रूप में स्वीकार कर लिया जाता है तो व्यवहार में उसे पाना अधिक आसान हो जाता है। अलोकतांत्रिक सरकारों में व्यक्ति की गरिमा न तो वैधानिक रूप से मान्य है और न नैतिक रूप से।
(2) व्यक्ति की आजादी-लोकतंत्र में सभी व्यक्तियों को राजनीतिक, व्यावसायिक, धार्मिक स्वतंत्रताएँ प्रदान की जाती हैं। भारत के संविधान में नागरिकों को ये स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई हैं ताकि नागरिक अच्छा जीवन जी सकें। गैर-लोकतांत्रिक देशों में नागरिकों को ये स्वतंत्रताएँ नहीं दी जाती हैं; यदि दी जाती हैं तो केवल सैद्धान्तिक दृष्टि से, व्यवहार में वे नहीं मिलती हैं।
(3) उत्तरदायी सरकार-लोकतंत्र में सरकार अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति उत्तरदायी होती है। जनता सरकार आगामी चुनाव में बदल भी सकती है।
(4) क्रान्ति की सम्भावना का अभाव-लोकतंत्र में मत द्वारा बिना क्रान्ति के सरकार को बदला जा सकता है। इसलिए लोकंतत्र में सरकार को बदलने के लिए हिंसक क्रान्ति की आवश्यकता नहीं होती।