लोकतन्त्र में नागरिक गरिमा का बहुत महत्त्व है। व्यक्ति की गरिमा के मामले में लोकतन्त्र किसी भी अन्य शासन प्रणाली से श्रेष्ठ है। यह निम्न प्रकार स्पष्ट है-
(1) महिलाओं की गरिमा व स्वतन्त्रता-दुनिया के अधिकांश समाज पुरुष-प्रधान समाज रहे हैं। लेकिन लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था ने महिलाओं के लिए समानता के अवसर प्रदान किये हैं। आज विश्व के अधिकांश लोकतन्त्र महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करते हैं तथा उन्हें सभी अधिकार प्रदान करते हैं। एक बार जब सिद्धान्त के रूप में महिलाओं के साथ समानता के व्यवहार को स्वीकार कर लिया गया है तो अब महिलाओं के लिए वैधानिक और नैतिक रूप से अपने प्रति गलत मान्यताओं और व्यवहारों के विरुद्ध संघर्ष करना आसान हो गया है। अलोकतान्त्रिक शासन व्यवस्थाओं में यह सब सम्भव न था क्योंकि वहाँ व्यक्तिगत स्वतन्त्रता एवं गरिमा को न तो वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त है और न ही नैतिक रूप से।
(2) जातिगत समानता-भारत में कानून द्वारा जातिगत समानता की स्थापना की गई है। यहाँ लोकतान्त्रिक व्यवस्था ने कमजोर और भेदभाव की शिकार हुई जातियों के लोगों को समान दर्जे व समान अवसर के दावे को बल दिया है। यद्यपि आज भी जातिगत भेदभाव और दमन के उदाहरण देखने को मिलते हैं, लेकिन उनके पक्ष में कानूनी या नैतिक बल नहीं होता है। सम्भवतः इसी एहसास के चलते लोग अपने लोकतान्त्रिक अधिकारों के प्रति अधिक सतर्क हुए हैं।