भारत में वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क इस प्रकार हैं
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन वैश्वीकरण से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रोत्साहित होगा, जिससे भारत जैसे विकासशील देश अपने विकास के लिए पूँजी प्राप्त कर सकेगा।
प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि-वैश्वीकरण की नीति के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देशों की प्रतियोगी शक्ति में वृद्धि होगी और अर्थव्यवस्था का त्वरित विकास हो सकेगा।
नयी प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायक वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को विकसित देशों द्वारा तेयार की गई नई प्रौद्योगिकी के प्रयोग में सहायता प्रदान करता है।
अच्छी उपभोक्ता वस्तुओं की प्राप्ति–वैश्वीकरण भारत जैसे विकासशील देशों को अच्छी-अच्छी गुणवत्ता की उपभोग वसतुओं को सापेक्षतः कम कीमत पर प्राप्त करने के योग्य बनाता है।
नये बाजार तक पहुंचना-वैश्वीकरण के फलस्वरूप भारत जैसे विकासशील देश के लिए दुनिया के बाजारों तक पहुँच का मार्ग प्रशस्त हो जायेगा।
उत्पादन तथा उत्पादिता के स्तर को उन्नत करना-वैश्वीकरण से ज्ञान का तेजी से प्रसार होता है और इसके परिणामस्वरूप भारत जैसे विकासशील देश अपने उत्पादन और उत्पादिता – के स्तर को उन्नत कर सकते हैं। अतः यह उत्पादिता के अंतर्राष्ट्रीय स्तर प्राप्त करने के लिए गति न करता है।
किंग तथा वित्तीय क्षेत्र में सपार-वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के अन्य देशों ‘ के सम्पर्क में आने से बैंकिंग तथा वित्तीय क्षेत्र की कुशलता में सुधार होगा।
मानवीय पूँजी की क्षमता का विकास- शिक्षा तथा कौशल प्रशिक्षण वैश्वीकरण के प्रमुख घटक हैं। इससे मानवीय विकास को बढ़ावा मिलता है।
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