प्रायः, सरकारें विदेश व्यापार पर कई प्रकार क नियंत्रण या प्रतिबंध लगा देती हैं जिन्हें व्यापार अवरोधक कहते हैं। किसी भी देश की सरकार व्यापार अवरोधक का प्रयोग अपने विदेश व्यापार में कमी या वृद्धि तथा आयातित वस्तुओं की मात्रा या प्रकार को निर्धारित करने के लिए कर सकती है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने भी विदेश व्यापार पर कई प्रकार के नियंत्रण और प्रतिबंध लगा दिए थे। घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए तथा उन्हें विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने के लिए यह आवश्यक माना गया था।
लेकिन, कुछ समय पूर्व सरकार ने यह अनुभव किया कि अब भारतीय उत्पादकों के लिए विदेशी प्रतिस्पर्धा का सामना करने का समय आ गया है। अतः, उसने अपनी नवीन आर्थिक नीति के अंतर्गत अर्थव्यवस्था को खोलने तथा अनावश्यक नियंत्रणों को समाप्त करने का एक व्यापक कार्यक्रम अपनाया है जिसे उदारीकरण की संज्ञा दी जाती है।
प्रायः, सरकारें विदेशी व्यापार पर कई प्रकार के नियंत्रण या अवरोध लगा देती है जिन्हें व्यापार अवरोधक (trade barrier) कहते हैं। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात भारत सरकार ने भी विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर कई प्रकार के नियंत्रण और प्रतिबंध लगा दिए थे। घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन देने तथा देश के उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से संरक्षण प्रदान करने के लिए यह आवश्यक माना गया था। 1950 एवं 1960 के दशक भारतीय उद्योगों के विकास के प्रारंभिक चरण थे।
इस अवस्था में विदेशी प्रतियोगिता इनके लिए घातक हो सकती थी। यही कारण है कि इस काल में सरकार ने मशीनरी, पेट्रोलियम, उर्वरक आदि जैसी कुछ अति आवश्यक वस्तुओं के आयात की ही अनुमति प्रदान की थी। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि विश्व के सभी विकसित देशों ने अपने विकास के प्रारंभिक काल में घरेलू उत्पादकों को विभिन्न प्रकार से संरक्षण प्रदान किया है।
लेकिन, कुछ समय पूर्व सरकार ने यह अनुभव किया कि अब भारतीय उद्योगों के लिए विश्व प्रतिस्पर्धा का सामना करने का समय आ गया है। अतएव, उसने 1991 में अपनी आर्थिक नीतियों में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए जिन्हें नवीन आकि नीति (NewEconomic Policy, NEP) की संज्ञा दी गई है। इस नीति के लागू होने के बाद अर्थव्यवस्था को अधिक उदार बनाने के लिए सरकार ने विभिन्न नियंत्रणों को समाप्त करने का एक व्यापक कार्यक्रम अपनाया है। इसके अंतर्गत निर्यात एवं आयात की अधिकांश वस्तुओं को लाइसेंस-मुक्त कर दिया गया है तथा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर लगाए गए अधिकांश नियंत्रण और प्रतिबंध हटा दिए गए हैं।