बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ-
इन परियोजनाओं पर बने बाँधों के पीछे बनी झीलों में भारी मात्रा में वर्षा का पानी एकत्रित किया जाता है, जिससे बाढ़ों पर नियंत्रण तथा मृदा का संरक्षण होता है।
इन बाँधों के जलग्रहण क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से वृक्षारोपण कर वन्य भूमि का विस्तार किया जाता है, जिससे परितंत्र के संरक्षण में सहायता मिलती है।
इन परियोजनाओं से जल-विद्युत पैदा की जाती है जिससे घरेलू और औद्योगिक विद्युत की पूर्ति होती है।
बाँधों के पीछे बने जलाशयों में मछलियों के बीज तैयार किये जाते हैं।
इन परियोजनाओं से पेयजल तथा कृषि हेतु सिंचाई की सुविधा मिलती है।
बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं से हानियाँ-
बाँध बनाने से नदी जल के प्राकृतिक बहाव में बाधा आती है, जिससे अधिकांश तलछट जलाशय के तल पर जमा हो जाता है और वह धीरे-धीरे कठोर हो जाता है। इससे जलीय प्राणियों को अच्छा आवास नहीं मिल पाता।
बाढ़ के मैदानों में जलाशय बनाने पर वहाँ की वनस्पति नष्ट हो जाती है तथा उपजाऊ मिट्टी जल में समा जाती है।
बाँधों के कारण स्थायी समुदायों का बड़े पैमाने पर विस्थापन होता है तथा उनकी भूमि व आजीविका के साधन छिन जाते हैं।
जलाशयों में तलछट जमा होने से वे स्वयं बाढ़ों का कारण बन जाते हैं।