जल दुर्लभता का अर्थ आवश्यकता की तुलना में स्वच्छ एवं अलवणीय जल की कमी होना जल दुर्लभता कहलाती है।
जल की दुर्लभता के कारण भारत में जल की दुर्लभता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
जल का असमान वितरण वर्षा में वार्षिक और मौसमी परिवर्तन के कारण जल संसाधनों की उपलब्धता में समय और स्थान के अनुसार विभिन्नता पाई जाती है।
जनसंख्या वृद्धि-देश में जल की दुर्लभता अत्यधिक और बढ़ती जनसंख्या और उसके परिणामस्वरूप जल की बढ़ती माँग और उसके असमान वितरण का परिणाम है।
सिंचाई-अधिक सिंचाई के फलस्वरूप भौम जल स्तर नीचे गिर रहा है और लोगों के लिए जल की उपलब्धता में कमी हो रही है।
औद्योगीकरण एवं शहरीकरण-भारत में स्वतंत्रता के उपरान्त तीव्र गति से औद्योगीकरण तथा शहरीकरण हुआ। उद्योगों की बढ़ती हुई संख्या के कारण अलवणीय जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। इसके अलावा शहरों की बढ़ती संख्या और जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली के कारण जल और ऊर्जा की आवश्यकता में वृद्धि हुई है। शहरों में जल संसाधनों का अतिशोषण हो रहा है तथा इनकी कमी होती जा रही है।
जल प्रदूषण-लोगों की आवश्यकता के लिए प्रचुर मात्रा में उपलब्ध जल घरेलू और औद्योगिक अपशिष्टों, रसायनों, कीटनाशकों तथा कृषि में प्रयुक्त उर्वरकों के द्वारा प्रदूषित है तथा मानव उपयोग के लिए खतरनाक है।