बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है यहाँ की 80% आबादी कृषि पर ही आधारित है और कृषि पर आधारित यहाँ कई उद्योग हैं, जैसे-चीनी उद्योग, जूट उद्योग, तम्बाकू उद्योग इत्यादि इनमें चीनी उद्योग प्रमुख है।
चीनी उद्योग यह बिहार का एक मुख्य कृषि आधारित उद्योग है। 20वीं शताब्दी के मध्य । तक भारत के चीनी उद्योग के क्षेत्र में बिहार का स्थान महत्वपूर्ण था। किन्तु 1960 के बाद इसमें हास होने लगा, जबकि यहाँ इस उद्योग के लिए सभी अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों वर्तमान हैं। अतः हाल के कुछ वर्षों में पुनः इसमें सुधार होने लगा है। ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में इसपर विशेष ध्यान दिया गया है। बिहार राज्य चीनी निगम के बंद पड़े 15 चीनी मिलों एवं दो निर्माणधीन इकाइयों को पुनः जीवित करने की योजना है। सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि ग्यारह चीनी मिलों के परिचालन की जिम्मेदारी रिलायस, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को दे दी जाएगी। बिहार में चीनी की अधिकतर मिलें उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र में विकसित हैं। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चम्पारण, सिवान, गोपालगंज और सारण जिला में चीनी मिलें केन्द्रित हैं, क्योंकि यह क्षेत्र गन्ना उत्पादन के लिए अत्यन्त ही अनुकूल है।
बिहार में कुछ चीनी मिलें दरभंगा जिला के सकरी, लोहार, हसनपुर एवं मुजफ्फरपुर जिला के मोतीपुर में हैं। राज्य के दक्षिणी भाग में भी चीनी के कुछ कारखाने स्थित हैं। इनमें विक्रमगंज, बिहटा और गुरारू की चीनी मिलें हैं। नवादा के वारिसलीगंज में भी एक चीनी मिल थी जो बंद पड़ी है।
वर्तमान में चीनी का कुल उत्पादन यहाँ 4.52 लाख मीट्रिक टन है।