बिहार में वस्त्र उद्योग पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
स्वाध्याय
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वस्त्र उद्योग बिहार का एक प्राचीन उद्योग है। इस उद्योग में एक विशेष समुदाय की भागीदारी रही है। यह काम यहाँ ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र दोनों में होता है। भागलपुर के तसर कपड़े, लुंगी एवं चादर देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। औरंगाबाद जिले के ओबरा तथा दाउदनगर के बने कालीन की मांग सम्पूर्ण भारत में है। बिहार में सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र तैयार किये जाते हैं। कच्चे माल के अभाव में यहाँ सूती मिल का अधिक विकास नहीं हुआ है, लेकिन सस्ते मजदूर तथा बाजार की उपलब्धता के कारण डुमरांव, गया, मोकामा, मुंगेर, फुलवारीशरीफ, ओरमाझी, भागलपुर में यह उद्योग विकसित हुआ है। यहाँ छोटी-छोटी मिलें स्थापित हैं जिसके लिए सूत कानपुर एवं अहमदाबाद से मंगाया जाता है।

मुंगेर, मुजफ्फरपुर एवं पटना जिलों में स्थानीय भेड़ों से प्राप्त उन से कम्बल बनाया जाता है।
बिहार में हस्तकरघा प्रक्षेत्र राज्य का एक बड़ा औद्योगिक प्रक्षेत्र है। यहाँ 34,320 करघे हैं जिनमें 10817 सहकारी एवं 23503 गैर सहकारी क्षेत्र में हैं। इसके अलावे 11361 विद्युत चालित करघे हैं। यह उद्योग पटना, गया, भागलपुर, बांका, दरभंगा, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद, भभुजा, नवादा, खगड़िया, नालन्दा एवं मधुबनी जिलों में केन्द्रित हैं। हस्तकरघा उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं।
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