बिहार में ग्रामीण बेरोजगारी की समस्या जटिल है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
(i) कृषि का पिछड़ापन-समुचित जल प्रबंधन तथा शक्ति, परिवहन और विपणन से चारण के आभाव में कृषि का आधुनिकीकरण एवं वयवसायीकरण संभव नहीं हो सका । अतः राज्य अर्थव्यवस्था के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का विस्तार नहीं हो सका है।
(ii) कृषि की प्रधानता-कृषि बिहार की अर्थ व्यवस्था का आधार है। गैर कृषि क्षेत्र विशेषकर उद्योग-धंधों के अविकसित होने के कारण रोजगार के बहुत कम अवसर उपलब्ध हैं। राज्य की लगभग 80% जनसंख्या कृषि एवं उससे संबंधित क्रियाकलाप में लगी हुई है। कृषि पर जनसंख्या के इस बोझ के कारण ही गाँवों में बेरोजगारी की समस्या है।
(iii) कृषि आधारित उद्योगों का अविकसित होना-बिहार में कृषि उत्पादन पर आधारित उद्योग विकसित नहीं हैं। जिसके कारण बिहार की चीनी, जूट और कागज की मिलें बंद हो चुकी हैं। इससे बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हुई है।
दूर करने के उपाय-
(i) कृषि का विकास-बिहार की कृषि व्यवस्था बहुत उन्नतशील हो सकती है । पर अविकसित होने के कारण यहाँ मौसमी और छिपी हुई बेरोजगारी मिलती हैं । अतः कृषि का उचित एवं समुचित विकास होना जरूरी है। वहीं सिंचाई का साधन एवं वैज्ञानिक कृषि को प्रोत्साहन देना चाहिए।
(ii) ग्राम उद्योगों के विकास जैसे कुटीर एवं लघु उद्योगों की स्थापना । सब्जी एवं फल उत्पादन में बिहार एक अग्रणी राज्य है। इस पर पूर्ण ध्यान देना अनिवार्य है।