चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ (हर बिंदु पर) वह दिशा बताती हैं जिसमें (उस बिंदु पर रखी) चुंबकीय सुई संकेत करती है। क्या चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ प्रत्येक बिंदु पर गतिमान आवेशित कण पर आरोपित बल रेखाएँ भी हैं?
एक टोरॉइड में तो चुंबकीय क्षेत्र पूर्णतः क्रोड के अंदर सीमित रहता है, पर परिनालिका में ऐसा नहीं होता। क्यों?
यदि चुंबकीय एकल ध्रुवों का अस्तित्व होता तो चुंबकत्व संबंधी गाउस का नियम क्या रूप ग्रहण करता?
क्या कोई छड़ चुंबक अपने क्षेत्र की वजह से अपने ऊपर बल आघूर्ण आरोपित करती है? क्या किसी धारावाही तार का एक अवयव उसी तार के दूसरे अवयव पर बल आरोपित करता है।
गतिमान आवेशों के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होते हैं। क्या कोई ऐसी प्रणाली है जिसका चुंबकीय आघूर्ण होगा, यद्यपि उसका नेट आवेश शून्य है?
उदाहरण - 5.7
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क्या होता है जबकि एक चुंबक को दो खंडों में विभाजित करते हैं (i) इसकी लंबाई के लंबवत (ii) लंबाई के अनुदिश?
एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में रखी गई किसी चुंबकीय सुई पर बल आघूर्ण तो प्रभावी होता है पर इस पर कोई परिणामी बल नहीं लगता। तथापि, एक छड़ चुंबक के पास रखी लोहे की कील पर बल आघूर्ण के साथ-साथ परिणामी बल भी लगता है। क्यों?
क्या प्रत्येक चुंबकीय विन्यास का एक उत्तरी और एक दक्षिणी ध्रुव होना आवश्यक है? एक टोरॉयड के चुंबकीय क्षेत्र के संबंध में इस विषय में अपनी टिप्पणी दीजिए।
दो एक जैसी दिखाई पड़ने वाली छड़े A एवं B दी गई हैं जिनमें कोई एक निश्चित रूप से चुंबकीय है, यह ज्ञात है (पर, कौन सी यह ज्ञात नहीं है)। आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि दोनों छड़ें चुंबकित हैं या केवल एक? और यदि केवल एक छड़ चुंबकित है तो यह कैसे पता लगाएँगे कि वह कौन-सी है। [आपको छड़ों A एवं B के अतिरिक्त अन्य कोई चीज प्रयोग नहीं करनी है।]
किसी इलेक्ट्रॉन के नैज चक्रणी संवेग S एवं कक्षीय कोणीय संवेग I के साथ जुड़े चुम्बकीय आघूर्ण क्रमश: $\mu_{s}$ और $\mu_{l}$ है। क्वांटम सिद्धांत के आधार पर (ओर प्रयोगात्मक रूप से अत्यन्त परिशुद्धतापूर्वक पुष्ट) इनके मान क्रमश : निम्न प्रकार दिए जाते हैं- $\mu_{s}$=$-(\frac e m) S,$एवं $\mu_{l}$=$-(\frac e 2 m) $l इनमें से कौन-सा व्यंजक चिरसम्मत सिद्धांतों के आधार पर प्राप्त करने की आशा की जा सकती है? उस चिरसम्मत आधार पर प्राप्त होने वाले व्यंजक को व्युत्पन्न कीजिए।
एक समोर्जी $18\ \text{keV}$ वाले इलेक्ट्रॉनों के किरण पुंज पर जो शुरू में क्षैतिज दिशा में गतिमान है, $0.04\ G$ का एक क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र, जो किरण पुंज की प्रारंभिक दिशा के लम्बवत् है, लगाया गया है। आकलन कीजिए $30$ सेमी. की क्षैतिज दूरी चलने में किरण पुंज कितनी दूरी ऊपर या नीचे विस्थापित होगा$? (m_{e }= 9.11 \times 10^{-31} kg, e = 1.60 \times 10^{-19 }C)$
किसी स्थान पर एक टेलिफोन केबल में चार लम्बे, सीधे, क्षैतिज तार हैं जिनमें से प्रत्येक में $1.0\ A$ की धारा पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित हो रहीं है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र $0.39\ G$ एवं नति कोण $35^\circ$ है। दिक्पात कोण लगभग शून्य है। केबल के $4.0$ सेमी. नीचे और $4.0$ सेमी. ऊपर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्रों के मान क्या होंगे$?$
अनुचुम्बकीय लवण के एक नूमने में $ 2.0 \times 10^{24}$ परमाणु द्विधुव हैं जिनमें से प्रत्येक का द्विध्रुव आघूर्ण $1.5 \times 10^{-23} JT^{-1}$ है। इस नमूने को $0.64\ T$ के एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया और $4.2\ K$ ताप तक ठंडा किया गया इसमें $15\%$ चुम्बकीय संतृप्तता आ गई। यदि इस नमूने को $0.98\ T$ के चुम्बकीय क्षेत्र में $2.8\ K$ ताप पर रखा हो तो इसका कुल द्विध्रुव आघूर्ण कितना होगा$? ($यह मान सकते हैं कि क्यूरी नियम लागू होता है।$)$
बहुत अधिक दूरियों पर (30,000 km से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र अपनी द्विधुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन से कारक इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
एक रोलैंड रिंग की औसत त्रिज्या 15 सेमी है और इसमें 800 आपेक्षिक चुंबकशीलता के लौह चुम्बकीय क्रोड पर 3500 फेरे लिपटे हुए हैं। 1.2 A की चुम्बकीय धारा के कारण इसके क्रोड में कितना चुम्बकीय क्षेत्र (B) होगा?