क्या होता है जबकि एक चुंबक को दो खंडों में विभाजित करते हैं (i) इसकी लंबाई के लंबवत (ii) लंबाई के अनुदिश?
एकसमान चुंबकीय क्षेत्र में रखी गई किसी चुंबकीय सुई पर बल आघूर्ण तो प्रभावी होता है पर इस पर कोई परिणामी बल नहीं लगता। तथापि, एक छड़ चुंबक के पास रखी लोहे की कील पर बल आघूर्ण के साथ-साथ परिणामी बल भी लगता है। क्यों?
क्या प्रत्येक चुंबकीय विन्यास का एक उत्तरी और एक दक्षिणी ध्रुव होना आवश्यक है? एक टोरॉयड के चुंबकीय क्षेत्र के संबंध में इस विषय में अपनी टिप्पणी दीजिए।
दो एक जैसी दिखाई पड़ने वाली छड़े A एवं B दी गई हैं जिनमें कोई एक निश्चित रूप से चुंबकीय है, यह ज्ञात है (पर, कौन सी यह ज्ञात नहीं है)। आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि दोनों छड़ें चुंबकित हैं या केवल एक? और यदि केवल एक छड़ चुंबकित है तो यह कैसे पता लगाएँगे कि वह कौन-सी है। [आपको छड़ों A एवं B के अतिरिक्त अन्य कोई चीज प्रयोग नहीं करनी है।]
उदाहरण - 5.3
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किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $0.48 \ JT^{-1}$ है। चुम्बक के केन्द्र से $10$ सेमी. की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु
एक चुम्बकीय द्विध्रुव दो चुम्बकीय क्षेत्रों के प्रभाव में है। ये क्षेत्र एक$-$दूसरे से $60^\circ$ का कोण बनाते हैं और उनमें से एक क्षेत्र का परिमाण $1.2 \times 10^{-2} \mathrm{~T}$ है। यदि द्विध्रुवी संतुलन में इस क्षेत्र से $15^\circ$ का कोण बनाए, तो दूसरे क्षेत्र का परिमाण क्या होगा?
चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ (हर बिंदु पर) वह दिशा बताती हैं जिसमें (उस बिंदु पर रखी) चुंबकीय सुई संकेत करती है। क्या चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ प्रत्येक बिंदु पर गतिमान आवेशित कण पर आरोपित बल रेखाएँ भी हैं?
एक टोरॉइड में तो चुंबकीय क्षेत्र पूर्णतः क्रोड के अंदर सीमित रहता है, पर परिनालिका में ऐसा नहीं होता। क्यों?
यदि चुंबकीय एकल ध्रुवों का अस्तित्व होता तो चुंबकत्व संबंधी गाउस का नियम क्या रूप ग्रहण करता?
क्या कोई छड़ चुंबक अपने क्षेत्र की वजह से अपने ऊपर बल आघूर्ण आरोपित करती है? क्या किसी धारावाही तार का एक अवयव उसी तार के दूसरे अवयव पर बल आरोपित करता है।
गतिमान आवेशों के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होते हैं। क्या कोई ऐसी प्रणाली है जिसका चुंबकीय आघूर्ण होगा, यद्यपि उसका नेट आवेश शून्य है?
चुम्बकीय आघूर्ण $m = 0.32\ JT^{−1}$ वाला एक छोटा छड़ चुम्बक, $0.15\ T$ के एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। यदि यह छड़ क्षेत्र के तल में घूमने के लिए स्वतंत्र हो, तो क्षेत्र के किस विन्यास में यह
रथायी संतुलन और
अस्थायी संतुलन में होगा$?$ प्रत्येक स्थिति में चुम्बक की स्थितिज ऊर्जा का मान बताइए।
एक छोटा छड़ चुम्बक जो एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र $0.25 \ T$ के साथ $30^\circ$ का कोण बनाता है, पर $4.5 \times 10^{-2} \mathrm{~J}$ का बल आघूर्ण लगता है। चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण का परिमाण क्या है?
किसी इलेक्ट्रॉन के नैज चक्रणी संवेग S एवं कक्षीय कोणीय संवेग I के साथ जुड़े चुम्बकीय आघूर्ण क्रमश: $\mu_{s}$ और $\mu_{l}$ है। क्वांटम सिद्धांत के आधार पर (ओर प्रयोगात्मक रूप से अत्यन्त परिशुद्धतापूर्वक पुष्ट) इनके मान क्रमश : निम्न प्रकार दिए जाते हैं- $\mu_{s}$=$-(\frac e m) S,$एवं $\mu_{l}$=$-(\frac e 2 m) $l इनमें से कौन-सा व्यंजक चिरसम्मत सिद्धांतों के आधार पर प्राप्त करने की आशा की जा सकती है? उस चिरसम्मत आधार पर प्राप्त होने वाले व्यंजक को व्युत्पन्न कीजिए।
अनुचुम्बकीय लवण के एक नूमने में $ 2.0 \times 10^{24}$ परमाणु द्विधुव हैं जिनमें से प्रत्येक का द्विध्रुव आघूर्ण $1.5 \times 10^{-23} JT^{-1}$ है। इस नमूने को $0.64\ T$ के एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया और $4.2\ K$ ताप तक ठंडा किया गया इसमें $15\%$ चुम्बकीय संतृप्तता आ गई। यदि इस नमूने को $0.98\ T$ के चुम्बकीय क्षेत्र में $2.8\ K$ ताप पर रखा हो तो इसका कुल द्विध्रुव आघूर्ण कितना होगा$? ($यह मान सकते हैं कि क्यूरी नियम लागू होता है।$)$
यह माना जाता है कि पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक चुम्बकीय द्विधुव के क्षेत्र जैसा है जो पृथ्वी के केन्द्र पर रखा है और जिसका द्विधुव आघूर्ण $ 8 \times 10^{22}\ JT^{-1}$ है। कोई ढंग सुझाइए जिससे इस संख्या के परिमाण की कोटि जाँची जा सके।
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें $16$ फेरे हैं। जिसकी त्रिज्या $10$ सेमी. है और जिसमें $75\ A$ धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है कि इसका तल, $5.0 \times 10^{-2}\ T$ परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत् है। कुंडली, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों तरफ घूमने के लिए स्वतंत्र है। यदि कुंडली को जरा$-$सा घुमा कर छोड़ दिया जाए तो यह अपने स्थायी संतुलनावस्था के इधर$-$उधर $2.0 \mathrm{~s}^{-1}$ की आवृत्ति से दोलन करती है। कुंडली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व$-$आघूर्ण क्या है।