D-T अभिक्रिया (ड्यूटीरियम-ट्रीटियम संलयन), $ { }_{1}^{2} \mathrm{H}+{ }_{1}^{3} \mathrm{H} \rightarrow{ }_{2}^{4} \mathrm{He}$ + n पर विचार कीजिए।
नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान MeV में ज्ञात कीजिए: $m\left({ }_{1}^{2} \mathrm{H}\right)$ = 2.014102 u,$m\left({ }_{1}^{3} \mathrm{H}\right)$ = 3.016049 u
ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 fm मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है? अभिक्रिया प्रारंभ करने के लिए गैसों (D तथा T गैसें) के किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
Exercise - 13.28
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एक दिए गए सिक्के का द्रव्यमान 3.0 g है। उस ऊर्जा की गणना कीजिए जो इस सिक्के के सभी न्यूटॉनों एवं प्रोटॉनों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए आवश्यक हो। सरलता के लिए मान लीजिए कि सिक्का पूर्णत : ${ }_{29}^{63} \mathrm{Cu}$ परमाणुओं का बना है $\left({ }_{29}^{63} \mathrm{Cu}\right.$ का द्रव्यमान = 62.92960 u)
रेडियोन्यूक्लाइड ${ }_{6}^{11}\ C $ का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है, ${ }_{6}^{11} C \rightarrow{ }_{5}^{11} B + e^{+} \nu ; T_{1/2 } = 20.3\ min$ उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा $0.960\ MeV$ है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं $\ m \left({ }_{6}^{11} \mathrm{C}\right) = 11.011434\ u$ तथा $m\left({ }_{5}^{11}\mathrm{~B}\right) = 11.000305\ u. Q-$ मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
किसी नाभिक से $\beta^{+}$(पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आंतरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनों, $\nu$ उत्सर्जित करता है $e^{+}+{ }_{Z}^{A} X$$\rightarrow{ }$$_{Z-1}^{A} Y+\nu$ दर्शाइए कि यदि $\beta^{+}$ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परंतु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
क्षयित हो रहे ${ }_{92}^{238} \mathrm{U}$की, $\alpha$-क्षय के लिए अर्ध-आयु 4.5 $\times 10^{9}$ वर्ष है।$ { }_{92}^{238} \mathrm{U}$ के $1 \mathrm{~g}$ नमूने की ऐक्टिवता क्या है?
समीकरण $R = R_0A^\frac{1}{2}$ के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है $($अर्थात् $A$ पर निर्भर करता है$)$ यहाँ $R_0$ एक नियतांक है एवं $A$ नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैंप कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत ली जा सकती है ${ }_{1}^{2} \mathrm{H}+{ }_{1}^{2} \mathrm{H} \rightarrow{ }_{2}^{3} \mathrm{He}$ + n + 3.27 MeV.
क्या नाभिकीय अभिक्रियाओं के समीकरण $\triangle M = [Zm_p+ (A-Z)m_n\ l - M$ रासायनिक समीकरण $($उदाहरण के लिए $2 \mathrm{H}_{2}+\mathrm{O}_{2} \rightarrow 2 \mathrm{H}_{2} \mathrm{O})$ के रूप में संतुलित हैं$?$ यदि नहीं तो किस रूप में दोनों ओर समीकरण संतुलित होंगे।
${ }_{10}^{23} \mathrm{Ne}$ का नाभिक, $\beta$-उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस $\beta$-क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। m$\left({ }_{10}^{23} \mathrm{Ne}\right)$ = 22.994466 u; m$\left({ }_{11}^{23} \mathrm{Na}\right)$ = 22.089770 u.