क्या नाभिकीय अभिक्रियाओं के समीकरण $\triangle M = [Zm_p+ (A-Z)m_n\ l - M$ रासायनिक समीकरण $($उदाहरण के लिए $2 \mathrm{H}_{2}+\mathrm{O}_{2} \rightarrow 2 \mathrm{H}_{2} \mathrm{O})$ के रूप में संतुलित हैं$?$ यदि नहीं तो किस रूप में दोनों ओर समीकरण संतुलित होंगे।
उदाहरण - 13.7
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यदि प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की संख्या, प्रत्येक नाभिकीय अभिक्रिया में संरक्षित रहती है, किसी नाभिकीय अभिक्रिया में किस प्रकार द्रव्यमान, ऊर्जा में (या इसका उलटा) बदलता है?
समीकरण $R = R_0A^\frac{1}{2}$ के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है $($अर्थात् $A$ पर निर्भर करता है$)$ यहाँ $R_0$ एक नियतांक है एवं $A$ नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
किसी नाभिकीय अभिक्रिया $A + b \rightarrow C + d$ का $Q-$मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है,
$Q = [m_A + m_b - m_c - m_d]c^2$
जहाँ दिए गए द्रव्यमान, नाभिकीय विराम द्रव्यमान $($rest mass$)$ है। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी।
जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समरथानिक ${ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव ${ }_{6}^{12} \mathrm{C}$के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमण्डल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। ${ }^{14}{ }^{14} \mathrm{C}$ की ज्ञात अर्धायु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली ${ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धान्त है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ों से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता के सन्निकट आयु का मिनट प्रति ग्राम आकलन कीजिए।
कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में, एक नाभिक$ \alpha$-कण से अधिक द्रव्यमान वाला एक कण उत्सर्जित करके क्षयित होता है। निम्नलिखित क्षय-प्रक्रियाओं पर विचार कीजिए: ${ }_{88}^{223} \mathrm{Ra} $$\rightarrow$${82}^{209} \mathrm{~Pb}+{ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ $ { }_{88}^{223} \mathrm{Ra} $$\rightarrow{ }$$_{86}^{219} \mathrm{Rn}$ + ${ }_{2}^{4} \mathrm{He}$ इन दोनों क्षय प्रक्रियाओं के लिए Q-मान की गणना कीजिए और दर्शाइए कि दोनों प्रक्रियाएँ ऊर्जा की दृष्टि से संभव हैं।
रेडियोन्यूक्लाइड ${ }_{6}^{11}\ C $ का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है, ${ }_{6}^{11} C \rightarrow{ }_{5}^{11} B + e^{+} \nu ; T_{1/2 } = 20.3\ min$ उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा $0.960\ MeV$ है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं $\ m \left({ }_{6}^{11} \mathrm{C}\right) = 11.011434\ u$ तथा $m\left({ }_{5}^{11}\mathrm{~B}\right) = 11.000305\ u. Q-$ मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।