किसी नाभिक से $\beta^{+}$(पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आंतरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनों, $\nu$ उत्सर्जित करता है $e^{+}+{ }_{Z}^{A} X$$\rightarrow{ }$$_{Z-1}^{A} Y+\nu$ दर्शाइए कि यदि $\beta^{+}$ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परंतु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
Exercise - 13.22
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Similar Questions

  • 1
    रेडियोन्यूक्लाइड  ${ }_{6}^{11}\ C $  का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है, ${ }_{6}^{11} C \rightarrow{ }_{5}^{11} B + e^{+} \nu ; T_{1/2 } = 20.3\  min$ उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा $0.960\  MeV$ है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं $\  m \left({ }_{6}^{11} \mathrm{C}\right) = 11.011434\ u$ तथा $m\left({ }_{5}^{11}\mathrm{~B}\right) = 11.000305\ u. Q-$ मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।
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  • 2
    तीव्र न्यूट्रॉनों द्वारा ${ }_{92}^{238} \mathrm{U}$ के विखंडन पर विचार कीजिए किसी विखंडन प्रक्रिया में प्राथमिक अंशों (Primary fragments) के बीटा-क्षय के पश्चात् कोई न्यूट्रॉन उत्सर्जित नहीं होता तथा ${ }_{58}^{140} \mathrm{Ce}$ तथा ${ }_{44}^{99} \mathrm{Ru}$अंतिम उत्पाद प्राप्त होते हैं। विखंडन प्रक्रिया के लिए Q के मान का परिकलन कीजिए। आवश्यक आँकड़े इस प्रकार हैं:
    $m\left({ }_{92}^{238} \mathrm{U}\right)$ = 238.05079 u, $ m\left({ }_{58}^{140} \mathrm{Ce}\right)$ = 139.90543 u, $m\left({ }_{44}^{99} \mathrm{Ru}\right)$ = 98.90594 u
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  • 3
    ${ }_{10}^{23} \mathrm{Ne}$ का नाभिक, $\beta$-उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस $\beta$-क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। m$\left({ }_{10}^{23} \mathrm{Ne}\right)$ = 22.994466 u; m$\left({ }_{11}^{23} \mathrm{Na}\right)$ = 22.089770 u.
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  • 4
    2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैंप कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत ली जा सकती है ${ }_{1}^{2} \mathrm{H}+{ }_{1}^{2} \mathrm{H} \rightarrow{ }_{2}^{3} \mathrm{He}$ + n + 3.27 MeV.
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  • 5
    समीकरण $R = R_0A^\frac{1}{2}$ के आधार पर, दर्शाइए कि नाभिकीय द्रव्य का घनत्व लगभग अचर है $($अर्थात् $A$ पर निर्भर करता है$)$ यहाँ $R_0$ एक नियतांक है एवं $A$ नाभिक की द्रव्यमान संख्या है।
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  • 6
    निम्नलिखित के लिए नाभिकीय समीकरण लिखिए-
    1. ${ }_{88}^{226}$ Ra का $\alpha$- क्षय
    2. ${ }_{94}^{242}$ Pu का $\alpha$ - क्षय
    3. ${ }_{15}^{32}$ P का $\beta^{-}$- क्षय
    4. $ { }_{83}^{210}$ Bi का $\beta^{-}$- क्षय
    5. ${ }_{6}^{11}$C का $\beta^{+}$- क्षय
    6. ${ }_{43}^{97}$Tc का $\beta^{+}$- क्षय
    7. $ { }_{54}^{120}$ Xe का इलेक्ट्रॉन अभिग्रहण
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  • 7
    क्या नाभिकीय अभिक्रियाओं के समीकरण $\triangle M = [Zm_p+ (A-Z)m_n\  l - M$ रासायनिक समीकरण $($उदाहरण के लिए $2 \mathrm{H}_{2}+\mathrm{O}_{2} \rightarrow 2 \mathrm{H}_{2} \mathrm{O})$ के रूप में संतुलित हैं$?$ यदि नहीं तो किस रूप में दोनों ओर समीकरण संतुलित होंगे।
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  • 8
    सूर्य के अभ्यंतर में
    1. 1 किग्रा. हाइड्रोजन के संलयन के समय विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए।
    2. विखंडन रिएक्टर में$ 1.0 \mathrm{~kg}{ }^{235} \mathrm{U}$ के विखंडन में विमुक्त ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (c) तथा (b) प्रश्नों में विमुक्त ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
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  • 9
    D-T अभिक्रिया (ड्यूटीरियम-ट्रीटियम संलयन), $ { }_{1}^{2} \mathrm{H}+{ }_{1}^{3} \mathrm{H} \rightarrow{ }_{2}^{4} \mathrm{He}$ + n पर विचार कीजिए।
    1. नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान MeV में ज्ञात कीजिए: $m\left({ }_{1}^{2} \mathrm{H}\right)$ = 2.014102 u,$m\left({ }_{1}^{3} \mathrm{H}\right)$ = 3.016049 u
    2. ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 fm मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है? अभिक्रिया प्रारंभ करने के लिए गैसों (D तथा T गैसें) के किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?
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  • 10
    जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समरथानिक ${ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव ${ }_{6}^{12} \mathrm{C}$के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमण्डल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। ${ }^{14}{ }^{14} \mathrm{C}$ की ज्ञात अर्धायु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली ${ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धान्त है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ों से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता के सन्निकट आयु का मिनट प्रति ग्राम आकलन कीजिए।
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