दो बल्ब $25 W -220 V , 100 W -220 V$ श्रेणी क्रम में $440 V$ के साथ जोड़े गये तो $-$
[2001]
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$R =\frac{ V _{ s }^2}{ W }$
जब $V _5$ समान हो तब
$ \frac{R_{25}}{R_{100}}=\frac{100}{25}=4$
$R_{25}=4 \cdot R_{100}$
$\text { अत: } V_1=\frac{R_1}{R_1+R_2} V$
$V_{25}=\frac{4}{5} \times 440=352 V$
$V_{100}=\frac{1}{5} \times 440=88 V $
अत: $25 W$ का बल्ब फ्यूज होगा
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एक सेल के टर्मिनलों के बीच विभव $2.2 V$ है जबकि सेल खुले परिपथ में है। अगर $5 \Omega$ का प्रतिरोध सेल के टर्मिनलों के बीच लगा दें तो विभव $1.8 V$ हो जाता है। सेल का आन्तरिक प्रतिरोध होगा :
एक वलय, एक तार जिसका प्रतिरोध $R_0=12 \Omega$ से बना है। इस वलय में ऐसे किन दो बिन्दुओं $A$ और $B$ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, पर धारावाही चालक को जोड़ा जाय ताकि, इन दो बिन्दुओं के बीच उप परिपथ का प्रतिरोध $R =\frac{8}{3} \Omega$ हो।
एक ताम्र वोल्टामीटर में $1.5$ ऐम्पियर की स्थिर धारा 10 मिनट के लिये बहती है। यदि तांबे के लिये विद्युत-रासायनिक तुल्यांक $30 \times 10^{-5}$ ग्राम-कूलाम-1 हो तो इलेक्ट्रोड पर विक्षिप्त ताँबे का द्रव्यमान होगा-
विद्युतवाही एक लूप $($पाश$)$ में दो एक समान अर्धवृत्ताकार भाग है। प्रत्येक की त्रिज्या $R$ है। एक $x-y$ समतल में और दूसरा $x-z$ समतल में स्थित है। यदि लूप $($पाश$)$ में विद्युत धारा $i$ हो तो, उनके उभयनिष्ठ केन्द्र पर दोनों अर्धवृत्ताकार भागों के द्वारा उत्पन्न परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र है
किसी विभवमापी के परिपथ को चित्र में दिखाये गये अनुसार व्यवस्थिति किया गया है। इस विभवमापी के तार पर विभवपात (प्रवणता) $k$ वोल्ट प्रति सेन्टीमीटर है, और जब द्विमार्गी कुंजी नहीं लगी है (आंफ है) तब, परिपथ में जुड़े एमीटर की माप $1.0 A$ है। जब कुंजी (i) 1 और 2 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_1 cm$ पर, (ii) और जब कुंजी 1 और 3 के बीच लगी होती है तो, संतुलन बिन्दु $l_2 cm$ पर प्राप्त होता है। तो, $R$ और $X$ प्रतिरोधकों का ओम में प्रतिरोध क्रमशः होगा