दो सर्वसम (समरूप) छड़ चुम्बकों को इस प्रकार स्थिर किया गया है कि उनके केन्द्र $d$ दूरी पर हैं। चित्र में दिखाये गये अनुसार दोनों चुम्बकों के बीच के खाली स्थान के मध्य बिन्दु $O$ से, $D$ दूरी पर, बिन्दु $P$ पर एक आवेश $Q$ रखा है। $Q$ आवेश पर बल है
[2010M]
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(b) आवेशित कण पर बल दिया जाता है $F=q v B$ यहाँ दिया हुआ है, $v=0$ तथा परिणामी $B$ भी शून्य है।
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\therefore power=0
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चुम्बकीय आघूर्ण $0.4 J T ^{-1}$ के एक छोटे (दंड) चुम्बक को किसी ऐसे एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है जिसकी तीव्रता $0.16 T$ है। यह चुम्बक स्थिर संतुलन में होगा। यदि इसकी स्थितिज ऊर्जा हो:
चुम्बकीय याम्योत्तर में स्थिति किसी कम्पन चुम्बकत्वमापी पर एक छोटा चुम्बक रखा है। यह चुम्बक पृथ्वी के क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में जिसका मान $24$ माइक्रोटेस्ला है, $2$ सेकण्ड के आवृति काल से दोलन करता है। जब एक विद्युत वाहित तार रखकर पृथ्वी के क्षेत्र की विपरीत दिशा में, $18$ माईक्रोटेस्ला का एक क्षैतिज उत्पन्न किया जाता है, तो चुम्बक का नया आर्वतकाल होगा
एक समबाहु त्रिभुज के आकार की कॉयल $($ भुजा $=i )$ को चुम्बक के ध्रुवों के बीच लटकाया गया। चुम्बकीय क्षेत्र $\overrightarrow{ B }$ कायॅल के समतल में है। कायॅल में धारा का मान $i$ हो तो आघूर्ण $(\tau)$ होगा
एक छड़ (दंड) चुम्बक की लम्बाई ' 1 ' है और इसका चुम्बकीय द्विध्रुव बल-आघूर्ण ' $M$ ' है। यदि इसे आरेख (चित्र) में दिये गये अनुसार एक चाप के आकार में मोड़ दिया जाय तो, इसका नया चुम्बकीय द्विध्रुव बलआघूर्ण होगा: