दर्शाये गये परिपथ में दो सेलों $A$ तथा $B$ का प्रतिरोध नगण्य है, जब $V_A=12 V , R_1=500 \Omega$ तथा $R=100 \Omega$ है तो, गैल्वेनोमीटर $(G)$ में कोई विक्षेप नहीं होता है। $V_B$ का मान है :
[2012]
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(b)
चूँकी गैल्वेनोमीटर में विक्षेप शून्य है अतः परिपथ में धारा का प्रवाह दिखाए गए चित्र के अनुसार होगा।
धारा $I=\frac{V_A}{R_1+R}=\frac{12}{500+100}=\frac{12}{600}$
अत: $\quad V_B=I R=\frac{12}{600} \times 100=2 V$
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एक वलय, एक तार जिसका प्रतिरोध $R_0=12 \Omega$ से बना है। इस वलय में ऐसे किन दो बिन्दुओं $A$ और $B$ जैसा कि चित्र में दिखाया गया है, पर धारावाही चालक को जोड़ा जाय ताकि, इन दो बिन्दुओं के बीच उप परिपथ का प्रतिरोध $R =\frac{8}{3} \Omega$ हो।
एक तार जिसका वक्र पृष्ठ क्षेत्रफल $a$ लम्बाई 1 तथा प्रतिरोध $R$ है। इसे एक वृत के रूप में मोड़ा गया है। इसके किसी व्यास के दोनों छोड़ो के बीच प्रतिरोध ज्ञात करो।
40 विद्युत बल्ब $220 V$ सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। कुछ समय बाद 1 बल्ब खराब हो गया तथा बचे हुए 39 बल्ब फिर समान सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। तीव्रता होगी :
एक ताम्र वोल्टामीटर में $1.5$ ऐम्पियर की स्थिर धारा 10 मिनट के लिये बहती है। यदि तांबे के लिये विद्युत-रासायनिक तुल्यांक $30 \times 10^{-5}$ ग्राम-कूलाम-1 हो तो इलेक्ट्रोड पर विक्षिप्त ताँबे का द्रव्यमान होगा-
भारत में बिजली सप्लाई $220 V$ पर होती है तथा $\text{USA}$ में $110 V$ पर होती है। एक $60 W$ के बल्ब का प्रतिरोध भारत में $R$ है तो $\text{USA}$ में इसका प्रतिरोध में बताइये:$-$
किसी ताप-वैद्युत युग्म का वोल्ट में ताप-विद्युत वाहक बल $E,{ }^{\circ} C$ में दोनों संधियों के बीच तापान्तर $\theta$ पर इस प्रकार निर्भर करता है $E=30 \theta-\frac{\theta^2}{15}$, इस ताप-वैद्युत युग्म का उदासीन ताप होगा