एक आवृतबीजी में निषेचन को द्विनिषेचन के रूप में क्यो उल्लेखित किया जाता है ? इससे विकसित होने वाली कोशिकाओं की गुणिता लिखिए।
Download our app for free and get started
एक आवृत्तबीजी में निषेचन के दौरान परागनलिका से दो नर युग्मक भ्रूणकोश में मुक्त होते हैं। इनमें एक नर युग्मक अण्ड कोशिका से संयोजित होता है, इस घटना को सिनगेमी या युग्मक संलयन कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप द्विगुणित युग्मनज का निर्माण होता है। दूसरा नरयुग्मक दो ध्रुवीय केन्द्रकों से संयोजित होता है, इसे त्रिसंलयन कहते हैं। निषेचन की इस घटना के परिणामस्वरूप एक त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोप केन्द्रक का निर्माण होता है।' इस प्रकार आवृत्तबीजीयों में युग्मक संलयन व त्रिसंलयन के रूप में दो बार निषेचन होता है। अतः इन दोनों को सामूहिक रूप से दोहरा निषेचन या द्विनिषेचन कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप द्विगुणित युग्मनज व त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष कोशिका बनाती है। इनमें आगे विभाजन होने से क्रमशः भ्रूण (2n) व भ्रूणपोष - (3n) बनता है।
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
एक पादप की कायिक कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या 2n = 14 है तो बताईये कि इस पादप की अण्डकोशिका, भ्रूणपोष व भ्रूण की कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या कितनी होगी ?