एक द्विपालिवत द्विकोष्ठीय पुंकेसर में चार लघुबीजाणुधियां होती है। यदि एक लघुबीजाणुधानी में 100 लघु बीजाणु मातृ कोशिकाएं हैं तो एक पुंकेसर में 4 × 100 - 400 लघु बीजाणु मातृ कोशिकाएं होगी। एक लघु बीजाणु मातृ कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन से चार परागकण (नर युग्मकोद्भिद्) बनते हैं। अतः 400 लघु बीजाणु मातृ कोशिकाओं से 400×4 = 1600 नर युग्मकोद्भिद बन सकते हैं अर्थात् यह पुंकेसर 1600 नर युग्मकोद्भिद् बना सकता है।