मटर के पुष्पों में स्वपरागण या स्वयुग्मन होता है। मटर के पुष्प में वर्तिकाग्र एवं पुंकेसर एक दूसरे के निकट सम्पर्क में होते हैं। जब पुंकेसर परिपक्व होते हैं तो इनके प्रस्फुटन से परागकण निकट स्थित उसी पुष्प की वर्तिकाग्र पर गिर जाते हैं। इसके फलस्वरूप मटर के पुष्प में स्वयुग्मन होता है तथा सुनिश्चित बीज समूह बनते हैं।