एक चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण $M$ को $90^{\circ}$ से घुमाने में किया गया, $60^{\circ}$ घुमाने में किये कार्य से $n$ गुना ज्यादा है तो $n$ का मान:
[1995]
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$ W _1= MB \left(\cos 0^{\circ}-\cos 90^{\circ}\right)$
$= MB (1-0)= MB$
$W _2= MB \left(\cos 0^{\circ}-\cos 60^{\circ}\right)$
$= MB \left(1-\frac{1}{2}\right)=\frac{ MB }{2}$
$W _1=2 W _2 \therefore n =2 $
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एक समबाहु त्रिभुज के आकार की कॉयल $($ भुजा $=i )$ को चुम्बक के ध्रुवों के बीच लटकाया गया। चुम्बकीय क्षेत्र $\overrightarrow{ B }$ कायॅल के समतल में है। कायॅल में धारा का मान $i$ हो तो आघूर्ण $(\tau)$ होगा
$2 \times 10^4 JT ^{-1}$ चुम्बकीय आघूर्ण का एक छड़ चुम्बक एक क्षैतिज तल में स्वतन्त्र रूप से घूम सकता है। इस स्थान पर $B =6 \times 10^{-4} T$ का क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र क्रियाकारी है। क्षेत्र दिशा के समान्तर दिशा से चुम्बक को धीरे$-$धीरे क्षेत्र दिशा से $60^{\circ}$ की दिशा तक ले जाने में किया गया कार्य होगा$:-$
चार हल्की छड़ों $A , B , C , D$ को धागों से अलग-अलग लटकाया गया है। एक छड़ (दंड) चुम्बक को धीरे-धीरे प्रत्येक के पास लाया जाता है और निम्नलिखित प्रेक्षण नोट किये जाते हैं:
(i) $A$ हल्की सी प्रतिकर्षित होती है
(ii) $B$ हल्की सी आकर्षित होती है
(iii) $C$ बहुत अधिक आकर्षित होती है
(iv) $D$ अप्रभावित रहती है
तो निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ठीक है?
दो सर्वसम (समरूप) छड़ चुम्बकों को इस प्रकार स्थिर किया गया है कि उनके केन्द्र $d$ दूरी पर हैं। चित्र में दिखाये गये अनुसार दोनों चुम्बकों के बीच के खाली स्थान के मध्य बिन्दु $O$ से, $D$ दूरी पर, बिन्दु $P$ पर एक आवेश $Q$ रखा है। $Q$ आवेश पर बल है
चुम्बकीय आघूर्ण $0.4 J T ^{-1}$ के एक छोटे (दंड) चुम्बक को किसी ऐसे एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है जिसकी तीव्रता $0.16 T$ है। यह चुम्बक स्थिर संतुलन में होगा। यदि इसकी स्थितिज ऊर्जा हो:
चुम्बकीय याम्योत्तर में स्थिति किसी कम्पन चुम्बकत्वमापी पर एक छोटा चुम्बक रखा है। यह चुम्बक पृथ्वी के क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र में जिसका मान $24$ माइक्रोटेस्ला है, $2$ सेकण्ड के आवृति काल से दोलन करता है। जब एक विद्युत वाहित तार रखकर पृथ्वी के क्षेत्र की विपरीत दिशा में, $18$ माईक्रोटेस्ला का एक क्षैतिज उत्पन्न किया जाता है, तो चुम्बक का नया आर्वतकाल होगा