एक इलैक्ट्रॉन जिसका द्रव्यमान $m$ तथा आवेश $e$ है, को $V$ विभव देकर त्वरित किया गया। इसका अंतिम वेग होगा
[1996]
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(c) $\frac{1}{2} mv ^2= eV \Rightarrow v ^2=\frac{2 ev }{ m } ; v =\sqrt{\frac{2 eV }{ m }}$
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एक प्रकाश$-$वैद्युत सेल में $\lambda$ तरंग$-$दैर्ध्य का प्रकाश डालने पर इलैक्ट्रॉन की सर्वाधिक गति $v$ है, तो तरंगदैर्ध्य $3 \lambda / 4$ करने से सर्वाधिक गति होगी
किसी धातु का कार्य फलन $1.8 eV$ है। इससे प्रकाश विद्युत उत्सर्जन में उत्पन्न इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम ऊर्जा $0.5 eV$ है। इसका संगत निरोधी (अंतक) विभव होगा:
जब $I$ तीव्रता के एकवर्णी विकिरण, किसी धातु की सतह पर टकराते हैं तो, फोटॉनों की संख्या और उनकी अधिकतम गतिज ऊर्जा क्रमशः $N$ और $T$ है। यदि विकिरणों की तीव्रता $2 I$ हो तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की संख्या और उनकी अधिकतम गतिज ऊर्जा क्रमशः होंगे
एक स्त्रोत $S_1$ प्रति सेकंड $5000 A$ तरंगदैध्ध्य के $10^{15}$ फोटॉन उत्पन्न करता है। एक अन्य स्त्रोत $S_2, 5000 A$ तरंगदैर्ध्य के $1.02 \times 10^{15}$ फोटॉन प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है, तो $\left(S_2\right.$ की शक्ति) $/\left(S_1\right.$ की शक्ति) का मान होगा
किसी हाइड्रोजन परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन उत्तेजित अवस्था $n$ से न्यूनतम ऊर्जा स्थिति में संक्रमण करता है (कूदता) है। इससे विकिरित तरंगदैर्ध्य का प्रकाश एक ऐसे प्रकाशसंवेदी पदार्थ को प्रदीप्त करता है जिसका कार्यफलन $2.75 eV$ है। यदि प्रकाश विद्युत इलेक्ट्रॉनों का निरोधी (अंतक) विभव $10 V$ है तो $n$ का मान होगा:
एक प्रकाश वैद्युत सैल का कैथोड बदलने से उसका कार्य फलन $W _1$ से $W _2$ बदल जाता है $\left( W _2> W _1\right)$ ) बिना किसी परिवर्तन के पहले धारा का मान $I _1$ तथा बाद में $I _2$ है तो $\left(\right.$ माना $h v> W _2$ )