एक स्त्रोत $S_1$ प्रति सेकंड $5000 A$ तरंगदैध्ध्य के $10^{15}$ फोटॉन उत्पन्न करता है। एक अन्य स्त्रोत $S_2, 5000 A$ तरंगदैर्ध्य के $1.02 \times 10^{15}$ फोटॉन प्रति सेकण्ड उत्पन्न करता है, तो $\left(S_2\right.$ की शक्ति) $/\left(S_1\right.$ की शक्ति) का मान होगा
[2010]
Download our app for free and get started
(a) $S _1$ द्वारा प्रति सेकेण्ड उत्सर्जित ऊर्जा $P_1=m_1 \frac{h c}{\lambda_1}$ $S _2$ द्वारा प्रति सेकेण्ड उत्सर्जित ऊर्जा $P_2=n_2 \frac{h c}{\lambda_2}$
$
\begin{aligned}
\therefore & \frac{P_2}{P_1}=\frac{n_2}{n_1} \cdot \frac{\lambda_1}{\lambda_2} \\
\quad & =\frac{1.02 \times 10^{15}}{10^{15}} \cdot \frac{5000}{5100}=1.0
\end{aligned}
$
Download our app
and get started for free
Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
जब एल्यूमिनियम प्लेट पर $hv$ ऊर्जा वाले फोटॉंन डाले जाते हैं $($कार्यफलन $E _0 )$ तो अधिकतम गति वाले इलैक्ट्रान की गतिज ऊर्जा $K$ है। यदि डाले गये विकिरण की आवृत्ति दोगुनी कर दी जाए तो निकले फोटो इलैक्ट्रान की अधिकतम गतिज ऊर्जा होगी
इस चित्र में एक प्रकाश सुक्रीय तल पर तीन विभिन्न विकिरणों के लिये प्रकाशीय धारा और ऐनोड विभव के बीच आरेखों को दिखाया गया है। निम्न कथनों में से किस को यथार्थ माना जायेगा?
किसी प्रकाश सुग्राही धातु के लिये, देहली आवृत्ति $3.3 \times 10^{14} Hz$ है। यदि इस धातु पर $8.2 \times 10^{14} Hz$ आवृत्ति का प्रकाश आपतित हो तो प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी $($अन्तक$)$ वोल्टता होगी, लगभगः
एक प्रकाश वैद्युत सैल का कैथोड बदलने से उसका कार्य फलन $W _1$ से $W _2$ बदल जाता है $\left( W _2> W _1\right)$ ) बिना किसी परिवर्तन के पहले धारा का मान $I _1$ तथा बाद में $I _2$ है तो $\left(\right.$ माना $h v> W _2$ )
फोटो-इलैक्ट्रिक सेल के कैथोड पर 300 नैनो मीटर तरंगदैर्ध्य का प्रकाश डाला जाता है तो फोटोइलैक्ट्रान निकलते हैं। जबकि दूसरे सेल के लिए यही काम 600 नैनो मीटर तरंगदैध्ध्य से होता है। दोनों के कार्यफलनों की तुलना करो।