एक परिनालिका में $2000$ फेरे पास $-$ पास लपेटे गये हैं। इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.5 \times 10^{-4} m ^2$ है और इसमें $2.0 A$ की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इसे लम्बाई के लम्बवत् अपने केन्द्र से इस प्रकार लटकाया गया है कि यह किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षैतिज समतल में घूम सके। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $5 \times 10^{-2}$ टेसला है और यह परिनालिका के अक्ष से $30^{\circ}$ का कोण बनाता है। परिनालिका पर बल आघूर्ण होगा
[2010M]
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कुंडली पर बल $-$ आघूर्ण
$ M B \text { sinA } $
जहाँ $T$ चुंबकीय क्षेत्र और कुंडली के अक्ष के बीच का कोण है।
$ M=\text { sinA }$
$\text { ? } V= \sin \ A B \sin 30^{\circ}$
$=2000 \times 2 \times 1.5 \times 10^{-4} \times 5 \times 10^{-2} \times \frac{1}{2}$
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विद्युत अपघटन द्वारा क्लोरीन गैस के उत्पादन के लिए $125 V$ पर $100 kW$ शक्ति का उपयोग होता है। प्रति मिनट कितनी क्लोरीन विमुक्त हो रही है? (क्लोरीन का विद्युत रासायनिक तुल्यांक $=0.367 \times 10^{-6} kg / C$ )
किसी प्रतिरोध $R$ से प्रवाडित आवेश का समय $t$ के साथ विचरण $Q=a t-b t^2$ के रूप में होता है, जहाँ $a$ तथा $b$ धनात्मक नियतांक हैं। $R$ में उत्पत्र कुल ऊप्मा है:
40 विद्युत बल्ब $220 V$ सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। कुछ समय बाद 1 बल्ब खराब हो गया तथा बचे हुए 39 बल्ब फिर समान सप्लाई के साथ श्रेणी क्रम में जोड़े गये। तीव्रता होगी :