किसी प्रतिरोध $R$ से प्रवाडित आवेश का समय $t$ के साथ विचरण $Q=a t-b t^2$ के रूप में होता है, जहाँ $a$ तथा $b$ धनात्मक नियतांक हैं। $R$ में उत्पत्र कुल ऊप्मा है:
[2016]
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(a) दिया है, आवेश $Q=a t-b t^2$
$\therefore$ धारा $i=\frac{\partial Q}{\partial t}=a-2 b t$
$\left\{ i =0\right.$ के लिए $\left.\Rightarrow t =\frac{ a }{2 b }\right\}$
जूल के ऊप्मा के नियम से, उत्पन्न ऊपमा $dH = i ^2 Rdt$
$H=\int_0^{a / 2 b}(a-2 b t)^2 R d t$
$H=\left.\frac{(a-2 b t)^3 R}{-3 \times 2 b}\right|_0 ^{\frac{a}{2 b}}=\frac{a^3 R}{6 b}$
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एक नगर से विद्युत शक्ति को, 150 किमी दूर स्थित एक अन्य नगर तक, तांबे के तारों द्वारा भेजा जाता है। प्रति किलोमीटर विभव-पात 8 वोल्ट तथा प्रति किलोमीटर औसत प्रतिरोध $0.5 \Omega$ है, तो तार में शक्ति क्षय होगा
एक इलैक्ट्रिक केतली में दो कुंडली है। एक कुंडली काम करे तो पानी उबलने में 10 मिनट तथा दूसरी कुंडली काम करे तो पानी उबलने में 40 मिनट लगते है। अगर दोनों कुंडली समांतर क्रम में जोड़े तो पानी उबलने में लगा समय है:
किसी दिये गये सेल का आन्तरिक प्रतिरोध ज्ञात करने के लिये प्रयुक्त एक विभवमापी के तार की लम्बाई $4$ मी है और इसके सिरों से जुड़ी मुख्य बैटरी का विद्युत वाहक बल $ \text{(EMF)}\ 2.0$ वोल्ट है। बैटरी का आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है। दिये गये सेल के सिरों पर जोड़े गये प्रतिरोधक $R$ का प्रतिरोध $(i)$ अनन्त $(ii) \ 9.5 \Omega$ रखने पर विभवमापी की सन्तुलन लम्बाइयां क्रमशः $3$ मी तथा $2.85$ मी हैं तो, सेल का आन्तरिक प्रतिरोध होगा
एक तार जिसका वक्र पृष्ठ क्षेत्रफल $a$ लम्बाई 1 तथा प्रतिरोध $R$ है। इसे एक वृत के रूप में मोड़ा गया है। इसके किसी व्यास के दोनों छोड़ो के बीच प्रतिरोध ज्ञात करो।
किसी विभवमापी के तार की लम्बाई 100 से.मी. है तथा इसके सिरों के बीच कोर्ई नियत विभवान्तर बनाए रखा गया है। दो सेलों को श्रेणीक्रम में पहले एक दूसरे की सहायता करते हुए और फिर एक-दूसरे की विपरीत दिशाओं में संयोजित किया गया है। इन दोनों प्रकरणों में शून्य-विक्षेप स्थिति तार के धनात्मक सिरे से 50 से. मी. और 10 से.मी. दूरी पर प्राप्त होती है। दोनों सेलों की $emf$ का अनुपात है :
एक परिनालिका में $2000$ फेरे पास $-$ पास लपेटे गये हैं। इसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.5 \times 10^{-4} m ^2$ है और इसमें $2.0 A$ की विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इसे लम्बाई के लम्बवत् अपने केन्द्र से इस प्रकार लटकाया गया है कि यह किसी एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में क्षैतिज समतल में घूम सके। चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता $5 \times 10^{-2}$ टेसला है और यह परिनालिका के अक्ष से $30^{\circ}$ का कोण बनाता है। परिनालिका पर बल आघूर्ण होगा
एक विद्युत बल्ब की अंकित वोल्टता तथा शक्ति क्रमशः $220$ वोल्ट $- 100$ वॉट है। यदि बल्ब के सिरों के बीच वोल्टता, इस अंकित वोल्टता से $2.5 \%$ कम हो जाये तो, उसकी शक्ति में, अंकित शक्ति के सापेक्ष कितने प्रतिशत की कमी होगी ?