लूप का चुम्बक (1) के N ध्रुव की ओर वाला तल N ध्रुव की भाँति तथा चुम्बक
(2) के S ध्रुव की ओर वाला तल S ध्रुव की भाँति व्यवहार करना चाहिए जिससे कि लेन्ज के नियमानुसार लूप में प्रेरित धारा चुम्बकों की इसकी ओर गति का विरोध प्रतिकर्षण बल लगाकर कर सके।
अतः चुम्बक (1) की ओर से देखने पर लूप में धारा A से B की ओर (वामावर्त) प्रवाहित होनी चाहिए तथा चुम्बक (2) की ओर से देखने पर धारा दक्षिणावर्त प्रवाहित होगी। अतः संधारित्र C की A प्लेट B प्लेट की अपेक्षा धनात्मक विभव पर होगी। इसलिए A धनात्मक तथा B ऋणात्मक विभव पर होंगे।