एक धातु प्लेट का कार्यफलन $4.125 \ eV$ है। तो इसकी देहली तरंगदैर्ध्य होगी
[1999]
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$ W _0=\frac{ hc }{\lambda_0}$
$=4.12 \times 1.6 \times 10^{-19}$
$\lambda_0=3000 A $
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एक आयनीकरण बॉक्स में दो समान्तर प्लेट एनोड तथा कैथोड जिन पर $5 \times 10^7$ इलैक्ट्रॉन है। इतना ही एनोड के पास सिंगल आवेशित धनात्मक आवेश प्रति सेमी$^3$ में है इलैक्ट्रॉन एनोड की तरफ $0.4$ मी/सेकण्ड से भागते हैं तो एनोड पर धारा घनत्व $4$ माइक्रो एम्पियर / मी$^2$ होता है। धनात्मक आवेश की चाल होगी $-$
जब एल्यूमिनियम प्लेट पर $hv$ ऊर्जा वाले फोटॉंन डाले जाते हैं $($कार्यफलन $E _0 )$ तो अधिकतम गति वाले इलैक्ट्रान की गतिज ऊर्जा $K$ है। यदि डाले गये विकिरण की आवृत्ति दोगुनी कर दी जाए तो निकले फोटो इलैक्ट्रान की अधिकतम गतिज ऊर्जा होगी
किसी धातु से प्रकाश विद्युत उत्सर्जन के लिए निरोधी (अंतक) आवृत्ति $v$ है। यदि इस धातु पर $2 v$ आवृत्ति के विकिरण आपतित हों तो, उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों का अधिकतम संभावित वेग होगा: ( $m$ इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।)
जब $I$ तीव्रता के एकवर्णी विकिरण, किसी धातु की सतह पर टकराते हैं तो, फोटॉनों की संख्या और उनकी अधिकतम गतिज ऊर्जा क्रमशः $N$ और $T$ है। यदि विकिरणों की तीव्रता $2 I$ हो तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की संख्या और उनकी अधिकतम गतिज ऊर्जा क्रमशः होंगे
निकैल का कार्य फलन $5.01 eV$ है। इसके पृष्ठ पर 200 $n m$ तरंगदैर्ध्य के पराबैंगनी प्रकाश आपतित होता है। सबसे द्रुतगामी उत्सर्जित प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन को रोकने के लिए आवश्यक विभवान्तर होगा
एक मिलीग्राम द्रव्यमान का एक गतिशील कण उतना ही तरंगदैर्ध्य रखता है जितना की $3 \times 10^6\ ms ^{-1}$ चाल से चलने वाला इलेक्ट्रॉन। कण की चाल होगी:
$($इलैक्ट्रान का द्रव्यमान $=9.1 \times 10^{-31} \ kg )$
दो भिन्न आवृत्तियों के प्रकाश जिनके फोटॉन की ऊर्जा क्रमश: $1\ eV$ और $2.5\ eV$ है, किसी ऐसे धातु पृष्ठ को एक के बाद एक प्रदीप्त करते हैं जिसका कार्य फलन $0.5\ eV$ है, तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम चालों का अनुपात होगा: