एक ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डली में 500 फेरे हैं तथा द्वितीयक कुण्डली में 5000 फेरे हैं। प्राथमिक कुण्डली को $20 V , 50 Hz A . C$. से जोड़ा जाता है। द्वितीयक से कितना निर्गत मिलेगा?
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एक a.c के क्षणिक वि.वा.ब. (e.m.f.)e और धारा $i$ के क्रमानुसार मान निम्न प्रकार व्यक्त किए जा सकते हैं:
$e = E _{ o } \sin \omega t$
$i = I _0 \sin (\omega t -\phi)$
a.c. की एक साइकल(आवर्त) में परिपथ में मध्यमान शक्ति होगी :
किसी $ac$ परिपथ में एक प्रत्यावर्ती वोल्टता, $e =200 \sqrt{2}$ $\sin 100 t$ वोल्ट, को $1 \mu F$ धारिता के एक संधारित्र से जोड़ा गया है। इस परिपथ में विद्युत धारा का वर्ग-माध्य मूल मान होगा:
एक प्रयोग में एक $\text{L-C-R}$ परिपथ को $200 V$ के साथ जोड़ा गया। सर्किट में $X _{ L }=50 \Omega, X _{ C }=50 \Omega$ तथा $R$ $=10 \Omega$ है तो प्रतिबाधा होगी
एक श्रेणी $R-C$ परिपथ किसी प्रत्यावर्ती वोल्टता के स्त्रोत से जुड़ा है। दो स्तिथियों $(a)$ तथा $(b)$ पर विचार कीजिए $(a)$ जब संधारित्र वायु भरा है। $(b)$ जब, संधारित्र माइका भरा है। इस परिपथ में प्रतिरोधक से प्रवाहित विद्युत धारा $i$ है तथा संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर $V$ है तो
एक $ac$ वोल्टता को श्रेणीक्रम में जुड़े एक प्रतिरोधक $R$ और प्रेरक $L$ पर अनुप्रयुक्त किया गया है। यदि $R$ और प्रेरकीय प्रतिघात में प्रत्येक का मान $3 \Omega$, हो तो, परिपथ में अनुप्रयुक्त वोल्टता और विद्युत धारा के बीच कलान्तर होगा:
किसी परिपथ में प्रत्यावर्ती विद्युत धारा तथा वोल्टता के तात्क्षणिक मानों को क्रमशं: निम्न प्रकार निरुपित किया जाता है:
$
i=\frac{1}{\sqrt{2}} \sin (100 \pi t) \text { एम्पियर }
$ तथा $e=\frac{1}{\sqrt{2}} \sin (100 \pi t+\pi / 3)$ वोल्ट
तो, इस परिपथ में क्षयित औसत शक्ति वॉट में होगी।
एक परिपथ में $X _{ L }=31 \Omega, R =8 \Omega, X _{ C }=25 \Omega$ श्रेणी क्रम में लगाये गये हैं। इन्हें $110 V$ a.c. के साथ जोड़ा गया है। शक्ति-घटक होगा :