एक ट्रान्सफॉर्मर को $220 V$ का निवेश दिया गया है। निर्गत परिपथ में $440$ वोल्ट पर $2.0 A$ की धारा प्रवाहित होती है। यदि ट्रांन्सफॉमर की दक्षता $80 \%$ हो तो ट्रान्सफार्मर की प्राथमिक कुंडली द्वारा ली गई विद्युतधारा है
[2010]
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$\frac{V_2}{V_1}=0.8 \frac{I_1}{I_2}$
$\Rightarrow \frac{V_2 I_2}{V_1 I_1}=0.8$
$V_1=220 V , I_2=2.0 A , V_2=440 V$
$I_1=\frac{V_2 I_2}{V_1} \times \frac{10}{8}$
$=\frac{440 \times 2 \times 10}{220 \times 8}=5 A $
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एक श्रेणी $R-C$ परिपथ किसी प्रत्यावर्ती वोल्टता के स्त्रोत से जुड़ा है। दो स्तिथियों $(a)$ तथा $(b)$ पर विचार कीजिए $(a)$ जब संधारित्र वायु भरा है। $(b)$ जब, संधारित्र माइका भरा है। इस परिपथ में प्रतिरोधक से प्रवाहित विद्युत धारा $i$ है तथा संधारित्र के सिरों के बीच विभवान्तर $V$ है तो
एक ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डली में 500 फेरे हैं तथा द्वितीयक कुण्डली में 5000 फेरे हैं। प्राथमिक कुण्डली को $20 V , 50 Hz A . C$. से जोड़ा जाता है। द्वितीयक से कितना निर्गत मिलेगा?
एक परिपथ में $X _{ L }=31 \Omega, R =8 \Omega, X _{ C }=25 \Omega$ श्रेणी क्रम में लगाये गये हैं। इन्हें $110 V$ a.c. के साथ जोड़ा गया है। शक्ति-घटक होगा :
एक ट्रांसफॉर्मर की दक्षता $90 \%$ है तथा यह $200 V$ व $3$ किलोवाट की पावर सप्लाई पर काम कर रहा है। यदि द्वितीयक कुण्डली से $6$ ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है तो, द्वितीयक कुण्डली के सिरों के बीच विभवान्तर तथा प्राथमिक कुण्डली में विद्युत धारा का मान क्रमशः होगा
किसी कुण्डली का प्रतिरोध $30$ ओम है तथा $50$ हर्ट्ज आवृत्ति पर प्रेरकीय प्रतिघात $20$ ओम है। यदि कुण्डली के दोनों सिरों के बीच $200$ वोल्ट, $100$ हर्ट्ज का प्रत्यावर्ती धारा का स्रोत जोड़ा जाता है, तो धारा का मान होगा:
किसी $ac$ परिपथ में एक प्रत्यावर्ती वोल्टता, $e =200 \sqrt{2}$ $\sin 100 t$ वोल्ट, को $1 \mu F$ धारिता के एक संधारित्र से जोड़ा गया है। इस परिपथ में विद्युत धारा का वर्ग-माध्य मूल मान होगा: