एक उत्क्रमणीय इंजन ली गयी ऊष्मा का $1 / 6$ कार्य में बदलता है । यदि सिंक का तापतान $60^{\circ} C$ कम कर दिया जाए तो दक्षता दोगुनी हो जाती है । तो स्रोत्र तथा सिंक का तापमान होगा :
[2000]
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$(a) \ \eta=\frac{1}{6}=1-\frac{ T _2}{ T _1} T _2=$ सिंक का तापमान
$T _2=\frac{5}{6} T _1 T _1=$ स्रोत्र का तापमान
दूसरी स्थिति में $\frac{1}{3}=1-\frac{ T _2-62}{ T _1}$
$ =1-\frac{ T _2}{ T _1}+\frac{62}{ T _1}=\frac{1-5}{6}+\frac{62}{ T _1}$
$T _1=62 \times 6=372-273=99^{\circ} C$
$T _2=\frac{5}{6} \times 372=310-273=37^{\circ} C $
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एक ऊष्मागतिकी प्रक्रम (चित्र देखें) में गैस को $A$ से $B$ तक $ACB$ द्वारा फिर वापिस $A$ तक $BDA$ द्वारा लाया गया है। पूरे प्रक्रम में किया गया कार्य किस क्षेत्रफल के बराबर होगा?
किसी गैस को समतापीय रूप से उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है। इसी गैस को पृथक रूप से रुद्धोप्म प्रक्रिया द्वारा उसके आधे आयतन तक संपीडित किया जाता है तब :
नियत दाब तथा नियत आयतन पर विश्ष्ट ऊष्मा का अनुपात $r$ है। यदि गैस का आयतन स्थिर दाब $P$ पर $V$ से $2 V$ कर दिया जाए तो गैस की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होगी :
एक गैस को चित्र $($आरेख$)$ में दर्शाये गये अनुसार $A \rightarrow B \rightarrow C \rightarrow A$, चक्र से गुजारा जाता है। तो, गैस द्वारा किया गया नेट कार्य है:
एक आदर्श गैस ऊष्मा इंजन कार्नो चक्र में $227^{\circ} C$ तथा $127^{\circ} C$ के बीच कार्यरत है। यह उच्च ताप पर $6 \times 10^4$ कैलोरी ऊष्मा अवशोषित करता है। कार्य में परिवर्तित ऊष्मा का मान है