नियत दाब तथा नियत आयतन पर विश्ष्ट ऊष्मा का अनुपात $r$ है। यदि गैस का आयतन स्थिर दाब $P$ पर $V$ से $2 V$ कर दिया जाए तो गैस की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि होगी :
[1998]
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$(c)$ रुद्धोष्म प्रक्रम में आंतरिक ऊर्जा में परिवर्तन किये गये कार्य के बराबर होगा ।
$ \Delta W =-\Delta U$
$=-\frac{1}{\gamma-1}\left( P _1 V _1- P _2 V _2\right)$
अत: $ \Delta U =\frac{1}{1-\gamma}\left( P _2 V _2- P _1 V _1\right)$
यहाँ $ V _1= V , V _2=2 V$
$\therefore \Delta U =\frac{1}{1-\gamma}[ P \times 2 V - PV ]$
$=\frac{ PV }{1-\gamma}$
$\Rightarrow \Delta U =-\frac{ PV }{\gamma-1} $
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एक द्विपरमाणुक गैस $(\gamma=1.4)$ के किसी द्रव्यमान का दाब 2 वायुमंडलीय दाब के बराबर है। इसको रूद्धोष्म अवस्था में इतना संपीडित किया जाता है कि उसका ताप $27^{\circ} C$ से $927^{\circ} C$ हो जाता है। अंतिम अवस्था में गैस का दाब है :
यदि किसी ताप गतिक प्रक्रम में, निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में वृद्धि $\Delta U$ और उसके द्वारा किया गया कार्य $\Delta W$ हो तो, निम्नलिखित में से कौन सा सत्य (सही) है?
एक उत्क्रमणीय इंजन ली गयी ऊष्मा का $1 / 6$ कार्य में बदलता है । यदि सिंक का तापतान $60^{\circ} C$ कम कर दिया जाए तो दक्षता दोगुनी हो जाती है । तो स्रोत्र तथा सिंक का तापमान होगा :
किसी एक परमाण्विक गैस का दाब $p$ और आयतन $V$ है। इसमें पहले समतापीय रूप से $2 V$ आयतन तक और फिर रूद्धोष्म रूप से $16 V$ आयतन तक प्रसार होता है। यदि $\gamma=\frac{5}{3}$ हो तो, गैस का अन्तिम दाब होगा