गहन निर्वाह कृषि, निर्वाह कृषि का ही एक स्वरूप है। गहन निर्वाह कृषि में कृषक अपने छोटे भूखण्ड पर साधारण औजारों से अधिक श्रम करके खेती करता है। इस खेती में अधिक धूप वाले दिनों से युक्त जलवायु और उर्वर मृदा वाले खेत में, एक वर्ष में एक से अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं। इसमें चावल मुख्य फसल होती है तथा अन्य फसलों में गेहूँ, मक्का, दलहन और तिलहन शामिल हैं।