निर्वाह कृषि के अन्तर्गत एक कृषक परिवार द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खेती की जाती है। निर्वाह कृषि परम्परागत तरीकों से की जाती है जिसमें निम्नस्तरीय प्रौद्योगिकी काम में ली जाती है तथा श्रम भी अधिक करना पड़ता है तथा फसल की उपज भी कम होती है।