ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापार का बंगाल में विकास - बंगाल में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के व्यापार का विकास निम्न प्रकार हुआ-
(1) सन् 1651 में हुगली नदी के किनारे पहली इंग्लिश फैक्टरी स्थापित की गई। कम्पनी के व्यापारी यहीं से अपना काम चलाते थे। ये 'फैक्टर' कहलाते थे।
(2) इस फैक्टरी में वेयरहाउस था जहाँ निर्यात होने वाली चीजों को जमा किया जाता था। यहीं पर उसके दफ्तर थे जिनमें कम्पनी के अफसर बैठते थे।
(3) व्यापार फैलाने के साथ-साथ कम्पनी ने सौदागरों और व्यापारियों को फैक्टरी के आस-पास आकर बसने के लिए प्रेरित किया।
(4) 1696 तक कम्पनी ने इस आबादी के चारों तरफ एक किला बनाना शुरू कर दिया था।
(5) दो साल बाद उसने मुगल अफसरों को रिश्वत देकर तीन गाँवों की जमींदारी भी खरीद ली। इनमें से एक गाँव कालीकाता था जो अब कोलकाता कहा जाता है।
(6) कम्पनी ने मुगल सम्राट औरंगजेब को इस बात के लिए भी तैयार कर लिया कि वह कम्पनी को बिना शुल्क चुकाए व्यापार करने का फरमान जारी कर दे।
औरंगजेब के फरमान से बंगाल के राजस्व को नुकसान - औरंगजेब के फरमान से केवल कम्पनी को ही शुल्क मुक्त व्यापार का अधिकार मिला था। लेकिन कम्पनी के जो अफसर निजी तौर पर व्यापार चलाते थे उन्होंने भी शुल्क चुकाने से इनकार कर दिया। इससे बंगाल में राजस्व वसूली बहुत कम हो गई तथा उसे नुकसान पहुँचा।