कम्पनी की विलय नीति का सिद्धान्त क्या था? अवध के विलय के लिए कम्पनी ने क्या तर्क दिया?
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विलय नीति सिद्धान्त - (1) 1848 से 1856 के बीच गवर्नर - जनरल बने लार्ड डलहौजी ने एक नयी नीति अपनाई जिसे विलय नीति का नाम दिया गया। यह सिद्धान्त इस तर्क पर आधारित था कि अगर किसी शासक की मृत्यु हो जाती है और उसका कोई पुरुष वारिस नहीं है तो उसकी रियासत हड़प कर ली जाएगी यानी कम्पनी के भू-भाग का हिस्सा बन जाएगी। उस शासक को किसी अन्य बच्चे को गोद लेकर उसे उत्तराधिकारी बनाने का अधिकार नहीं होगा।
(2) इस सिद्धान्त के आधार पर अंग्रेजों ने एक के बाद एक कई रियासतों, जैसे - सतारा (1848), सम्बलपुर (1850), उदयपुर (1852), नागपुर (1853) और झाँसी (1854) पर अपना अधिकार कर लिया।
अवध का विलय - 1856 में कम्पनी ने अवध को भी अपने नियन्त्रण में ले लिया। अवध के विलय के लिए अंग्रेजों ने एक नया तर्क दिया। उन्होंने कहा कि वे अवध की जनता को नवाब के 'कुशासन' से आजाद कराने के कर्त्तव्य से बँधे हुए हैं इसलिए वे अवध पर कब्जा करने को मजबूर हैं। इस प्रकार उन्होंने नवाब को गद्दी से हटाकर अवध पर नियन्त्रण कर लिया।
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