जब एक श्रेणी LR परिपथ के साथ एक संधारित्र. श्रेणीक्रम में जोड़ दिया जाता है, तो परिपथ में प्रवाहित धारा बढ़ जाती है? समझाइये, क्यों?
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L-R परिपथ की प्रतिबाधा $Z _1=\sqrt{ R ^2+(\omega L )^2}$ $\therefore$ धारा $I_1=\frac{E}{Z_1}$ संधारित्र को जोड़ देने पर L-C-R परिपथ की प्रतिबाधा $Z_2=\sqrt{R^2+\left(\omega L-\frac{1}{\omega C}\right)^2}$ $\therefore$ धारा $I _2=\frac{ E }{ Z _2}$ $\therefore \quad \frac{ I _2}{ I _1}=\frac{ Z _1}{ Z _2}$ $\because \quad Z _1> Z _2 \quad \therefore \quad I _2> I _1$
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एक प्रत्यावर्ती परिपथ में, किसी समय पर विभव E= 200 sin 157 t. cos 157 t वोल्ट और धारा I = sin $\left(314 t+\frac{\pi}{3}\right)$ ऐम्पियर है। इस स्थिति में गणना कीजिये- (अ) आवृत्ति (ब) वर्ग माध्य मूल वोल्टता (स) परिपथ की प्रतिबाधा (द) शक्ति गुणांक।
किसी प्रत्यावर्ती परिपथ में आरोपित वोल्टता 220 V है। यदि $R =8 \Omega, X _{ L }= X _{ C }=6 \Omega$ है' तो निम्न का मान लिखिए- (a) वोल्टता का वर्ग माध्य मूल (rms) मान
(b) परिपथ की प्रतिबाधा।
एक संधारित्र तथा एक प्रतिरोध एक प्रत्यावर्ती धारा स्रोत से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। यदि $C$ तथा $R$ के सिरों के बीच वोल्टता क्रमशः $120 V, 90 V$ तथा धारा का वर्ग$-$माध्य$-$मूल मान $3A$ हो, तो ज्ञात कीजिये $- (i)$ प्रतिबाधा $(ii)$ परिपथ का शक्ति गुणांक।
एक प्रत्यावर्ती धारा परिपथ X तथा Y परिपथ अवयवों के श्रेणीक्रम संयोजन से बना है। धारा वोल्टता से $\frac{\pi}{4}$ कलान्तर अग्रगामी है। यदि अवयव X शुद्ध प्रतिरोध है जिसका मान 100 $\Omega$ है, तो (i) परिपथ अवयव Y का नाम बताइये। (ii) यदि वोल्टता का वर्ग-माध्य-मूल मान 141 वोल्ट हो, तो धारा का वर्ग- माध्य-मूल मान ज्ञात कीजिये।