जेट धाराएँ क्या हैं तथा भारतीय जलवायु पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
स्वाध्याय
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जेट धाराएँ ऊपरी वायुमंडल (1200 मीटर से भी अधिक ऊँचाई पर) में तेज गति से चलनेवाली पवनें हैं, जेट धाराएँ लगभग 272 से 30° उत्तरी अक्षांशों के बीच वायुमंडल के ऊपरी भाग में चलती हैं। अतः इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ कहा जाता है। ये सितम्बर से मार्च तक हिमालय के दक्षिणी छोर पर चला करती हैं तथा देश के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिम भाग में पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ के रूप में आकर कभी-कभी वर्षा की झड़ी लगा देती हैं।
भारत की जलवायु पर प्रभाव-भारत पर जेट हवाओं का गहरा प्रभाव है। शीत ऋतु में हिमालय के दक्षिणी भाग के ऊपर समताप मंडल में पश्चिमी जेट धारा की स्थिति रहती है। जून के महीने में यह उत्तर की ओर खिसक जाती है। इससे 15° उत्तर आक्षांश के ऊपर एक पूर्वी जेट धारा कके विकास में सहायता मिलती है। यही उत्तरी भारत में मौनसून- विस्फोट के लिए उत्तरदायी है । यह बंगाल, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश आदि के तटीय भाग में कभी-कभी तूफानी हवा के साथ वर्षा करती हैं।
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