जीवित कार्बनयुक्त द्रव्य की सामान्य ऐक्टिवता, प्रति ग्राम कार्बन के लिए 15 क्षय प्रति मिनट है। यह ऐक्टिवता, स्थायी समरथानिक ${ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ के साथ-साथ अल्प मात्रा में विद्यमान रेडियोऐक्टिव ${ }_{6}^{12} \mathrm{C}$के कारण होती है। जीव की मृत्यु होने पर वायुमण्डल के साथ इसकी अन्योन्य क्रिया (जो उपर्युक्त संतुलित ऐक्टिवता को बनाए रखती है) समाप्त हो जाती है, तथा इसकी ऐक्टिवता कम होनी शुरू हो जाती है। ${ }^{14}{ }^{14} \mathrm{C}$ की ज्ञात अर्धायु (5730 वर्ष) और नमूने की मापी गई ऐक्टिवता के आधार पर इसकी सन्निकट आयु की गणना की जा सकती है। यही पुरातत्व विज्ञान में प्रयुक्त होने वाली ${ }_{6}^{14} \mathrm{C}$ कालनिर्धारण (dating) पद्धति का सिद्धान्त है। यह मानकर कि मोहनजोदड़ों से प्राप्त किसी नमूने की ऐक्टिवता 9 क्षय प्रति मिनट प्रति ग्राम कार्बन है। सिंधु घाटी सभ्यता के सन्निकट आयु का मिनट प्रति ग्राम आकलन कीजिए।
Exercise - 13.8
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एक परमाणु द्रव्यमान मात्रक के समतुल्य ऊर्जा का मान पहले जूल और फिर MeV में ज्ञात कीजिए। इसका उपयोग करके $ { }_{8}^{16} \mathrm{O}$ की द्रव्यमान क्षति $\mathrm{MeV} / \mathrm{c}^{2}$ में व्यक्त कीजिए।
क्षयित हो रहे ${ }_{92}^{238} \mathrm{U}$की, $\alpha$-क्षय के लिए अर्ध-आयु 4.5 $\times 10^{9}$ वर्ष है।$ { }_{92}^{238} \mathrm{U}$ के $1 \mathrm{~g}$ नमूने की ऐक्टिवता क्या है?
किसी नाभिक से $\beta^{+}$(पॉजिट्रॉन) उत्सर्जन की एक अन्य प्रतियोगी प्रक्रिया है जिसे इलेक्ट्रॉन परिग्रहण (Capture) कहते हैं (इसमें परमाणु की आंतरिक कक्षा, जैसे कि K-कक्षा, से नाभिक एक इलेक्ट्रॉन परिगृहीत कर लेता है और एक न्यूट्रिनों, $\nu$ उत्सर्जित करता है $e^{+}+{ }_{Z}^{A} X$$\rightarrow{ }$$_{Z-1}^{A} Y+\nu$ दर्शाइए कि यदि $\beta^{+}$ उत्सर्जन ऊर्जा विचार से अनुमत है तो इलेक्ट्रॉन परिग्रहण भी आवश्यक रूप से अनुमत है, परंतु इसका विलोम अनुमत नहीं है।
नियॉन के तीन स्थायी समस्थानिकों की बहुलता क्रमश : 90.51%, 0.27% एवं 9.22% है। इन समस्थानिकों के परमाणु द्रव्यमान क्रमश : 19.99 u, 20.99 u एवं 21.99 u हैं। नियॉन का औसत परमाणु द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
${ }_{94}^{239} $Pu के विखंडन गुण बहुत कुछ ${ }_{92}^{235} $U से मिलते-जुलते हैं। प्रति विखंडन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 MeV है। यदि 1 kg शुद्ध ${ }_{94}^{239}$ Pu के सभी परमाणु विखंडित हों तो कितनी MeV ऊर्जा विमुक्त होगी?
किसी स्रोत में फॉस्फोरस के दो रेडियो न्यूक्लाइड निहित हैं ${ }_{15}^{32} \ P (T_{1/2 }= 14.3 d)$ एवं ${ }_{15}^{33}$
$P(T_{1/2}) = 25.3 d)।$ प्रारंभ में $ { }_{15}^{33}\ P$ से $10\%$ क्षय प्राप्त होता है। इससे $90$ क्षय प्राप्त करने के लिए कितने समय प्रतीक्षा करनी होगी?
2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैंप कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत ली जा सकती है ${ }_{1}^{2} \mathrm{H}+{ }_{1}^{2} \mathrm{H} \rightarrow{ }_{2}^{3} \mathrm{He}$ + n + 3.27 MeV.
8.0 mCi सक्रियता का रेडियोएक्टिव स्रोत प्राप्त करने के लिए ${ }_{27}^{60} \mathrm{Co}$ की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी? $ { }_{27}^{60} \mathrm{Co}$ की अर्धायु 5.3 वर्ष है।
D-T अभिक्रिया (ड्यूटीरियम-ट्रीटियम संलयन), $ { }_{1}^{2} \mathrm{H}+{ }_{1}^{3} \mathrm{H} \rightarrow{ }_{2}^{4} \mathrm{He}$ + n पर विचार कीजिए।
नीचे दिए गए आँकड़ों के आधार पर अभिक्रिया में विमुक्त ऊर्जा का मान MeV में ज्ञात कीजिए: $m\left({ }_{1}^{2} \mathrm{H}\right)$ = 2.014102 u,$m\left({ }_{1}^{3} \mathrm{H}\right)$ = 3.016049 u
ड्यूटीरियम एवं ट्राइटियम दोनों की त्रिज्या लगभग 1.5 fm मान लीजिए। इस अभिक्रिया में, दोनों नाभिकों के मध्य कूलॉम प्रतिकर्षण से पार पाने के लिए कितनी गतिज ऊर्जा की आवश्यकता है? अभिक्रिया प्रारंभ करने के लिए गैसों (D तथा T गैसें) के किस ताप तक ऊष्मित किया जाना चाहिए?